उपनल कर्मियों में बढ़ी चिंता। नियमितीकरण नियमावली पर संशय बरकरार




देहरादून। उत्तराखंड में नियमितीकरण नियमावली को लेकर पिछले लंबे समय से बहस जारी है। अब जबकि कैबिनेट में नियमावली लाए जाने की चर्चाएं तेज़ हैं, वहीं उपनल कर्मियों में यह चिंता गहराने लगी है कि क्या उनके नियमितीकरण पर भी सरकार ने ठोस होमवर्क पूरा कर लिया है या नहीं।
दरअसल, संविदा और उपनल कर्मियों के लिए अलग-अलग समितियाँ नियमावली पर काम कर रही हैं, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राज्य में वर्तमान में दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ रूप में सेवाएं दे रहे हजारों कर्मचारी नियमितीकरण की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
कैबिनेट में जल्द आ सकती है नियमावली
सूत्रों के अनुसार, संविदा और तदर्थ कर्मियों के लिए नियमितीकरण नियमावली का मसौदा लगभग तैयार है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसका रास्ता साफ हो सकता है। हालांकि उपनल कर्मियों के लिए स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
राज्य सरकार ने उपनल कर्मियों की स्थिति पर विचार के लिए प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है।
मुख्यमंत्री की घोषणा और समिति का गठन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार किए जाने की घोषणा कर चुके हैं। इसके बाद शासन स्तर पर समिति गठित भी की गई, मगर कई महीने बीतने के बावजूद नियमावली अभी अंतिम रूप नहीं ले पाई है।
दूसरी ओर, संविदा कर्मियों के नियमितीकरण को लेकर काम लगभग पूरा बताया जा रहा है। ऐसे में उपनल कर्मियों में संशय बना हुआ है कि जब दोनों वर्ग समान प्रकृति की सेवा दे रहे हैं तो एक ही समिति के अंतर्गत विचार क्यों नहीं किया गया?
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद बढ़ी उम्मीदें
उपनल कर्मियों की याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट पहले ही समान काम के लिए समान वेतन और स्थायीकरण के आदेश दे चुका है।
सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
इसके बाद उपनल कर्मियों ने सरकार पर कंटेम्प्ट याचिका भी दाखिल की, जिसके बाद शासन ने नियमावली निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया।
नियमावली 10 साल की सेवा से जुड़ी हो सकती है
माना जा रहा है कि नई नियमावली में 10 साल की सेवा अवधि को आधार बनाया जा सकता है। अर्थात 2018 तक 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले संविदा और तदर्थ कर्मचारियों को नियमित किए जाने का प्रावधान हो सकता है। पूर्व में यह अवधि 10 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष की गई थी, लेकिन 2018 में हाईकोर्ट ने 5 वर्ष की नियमावली पर रोक लगा दी थी।
अब एक बार फिर 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मियों को लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। उपनल कर्मियों का कहना है कि नियमावली इस तरह तैयार की जाए जिससे अधिकतम कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके।
सरकार की समिति सक्रिय है, लेकिन उपनल कर्मचारियों की निगाहें अब भी सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
वे उम्मीद कर रहे हैं कि दीपावली के बाद नियमितीकरण को लेकर उन्हें भी कोई ठोस घोषणा सुनने को मिलेगी।


 
                    