बड़ी खबर: BKTC में सियासी टकराव। भाजपा के दो बड़े नेता आमने-सामने

BKTC में सियासी टकराव। भाजपा के दो बड़े नेता आमने-सामने

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा के दो वरिष्ठ नेता पूर्व बदरी-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय और वर्तमान अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी इन दिनों एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।

दोनों नेताओं के बीच यह तकरार तब शुरू हुई जब कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने मंदिर समिति में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए।

कांग्रेस नेता गोदियाल ने आरोप लगाया कि भाजपा शासनकाल में मंदिर समिति में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं हुईं। उन्होंने कहा कि अजेंद्र अजय के कार्यकाल में उनके भाई को नियमों के विपरीत नियुक्ति और वेतनवृद्धि का लाभ दिया गया।

वर्तमान अध्यक्ष के बयान से भड़के पूर्व अध्यक्ष

मामले पर जब वर्तमान अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि “इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी।” बस इसी बयान ने विवाद को हवा दे दी।

पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि जांच होनी है तो केवल इस मुद्दे पर नहीं, बल्कि मंदिर समिति से जुड़े अन्य लंबित मामलों की भी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने हेमंत द्विवेदी को याद दिलाया कि उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐसे मुद्दे उठे थे जिन पर वर्तमान समिति ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

बीडी सिंह और सीईओ की नियुक्ति पर सवाल

अजेंद्र अजय ने पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह के लंबे कार्यकाल और भूमिका पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि, “बीडी सिंह को मेरे कार्यकाल में हटाया गया था, फिर भी वीआरएस लेने के बाद वे किसी न किसी रूप में समिति से जुड़े हैं। यह खुद में विचारणीय है।”

इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय थपलियाल की नियुक्ति पर भी प्रश्नचिह्न लगाया।
उनका कहना है कि मंदिर समिति की सेवा नियमावली के अनुसार सीईओ का पद क्लास-1 अधिकारी के लिए आरक्षित है, जबकि वर्तमान अधिकारी इस पात्रता को पूरा नहीं करते।

क्यूआर कोड घोटाले पर कार्रवाई का सवाल

अजेंद्र अजय ने यह भी पूछा कि केदारनाथ में क्यूआर कोड से जुड़ा मामला, जिस पर उनके कार्यकाल में मुकदमा दर्ज हुआ था, अब ठंडे बस्ते में क्यों है। उन्होंने कहा कि उस समय चमोली पुलिस ने तेजी से जांच की थी, लेकिन अब उसी प्रकरण में प्रशासन की सुस्ती दिख रही है।

भाजपा में अंदरूनी मतभेद उभरकर सामने

कांग्रेस के आरोपों के बाद भाजपा के ही दो नेताओं के बीच चली यह बयानबाजी अब पार्टी के भीतर असहजता पैदा कर रही है। धार्मिक संस्था से जुड़ा यह विवाद धीरे-धीरे राजनीतिक रंग लेने लगा है, जिससे बदरी-केदार मंदिर समिति की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।

जांच की संभावना से हलचल

सूत्रों के अनुसार, सरकार इस विवादित प्रकरण पर विभागीय समीक्षा या जांच के आदेश जारी कर सकती है।
फिलहाल दोनों नेताओं के बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।