पशु प्रेम या अघोषित आतंक? उत्तराखंड में पांच लाख से ज्यादा लोग कुत्तों के काटने का शिकार
- 16 सालों में 5.4 लाख डॉग बाइट केस, देहरादून-हरिद्वार सबसे ज्यादा प्रभावित।
- वैक्सीन की कमी और सिस्टम की लापरवाही ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें
रिपोर्ट- अमित भट्ट
देहरादून। उत्तराखंड की गलियों में अब लोगों की जिंदगियां खूंखार कुत्तों के जबड़ों में फंसी नजर आती हैं। आक्रामक होते कुत्तों की संख्या और उनसे जुड़ी घटनाएं दोनों ही डराने वाली हैं।
पिछले 16 वर्षों में प्रदेश में 5.4 लाख से अधिक लोग डॉग बाइट (कुत्तों के काटने) का शिकार हो चुके हैं। केवल वर्ष 2025 में ही 24,600 से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए हैं।
देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और ऋषिकेश जैसे शहरी इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वहीं, डॉग वैक्सीन की कमी और नगर निगमों की उदासीनता ने हालात और खराब कर दिए हैं।
नागरिकों का कहना है कि हर गली में औसतन 10–12 आवारा कुत्ते घूमते हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना भी जोखिम भरा हो गया है।
स्थानीय निवासी सवाल उठा रहे हैं कि पशु-प्रेम और नागरिक सुरक्षा के बीच संतुलन कहां है? सिस्टम की चुप्पी और प्रशासनिक लापरवाही ने अब यह समस्या सामाजिक संकट का रूप ले लिया है।

