ईडी जांच में बरी, फिर भी अभियोजन की अनुमति। हाईकोर्ट ने पूछा ‘आख़िर क्यों?’
देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति से जुड़े मामले में राज्य सरकार और सीबीआई से 28 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ में शुक्रवार को हुई सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट किया कि इस पूरे मामले में प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और जांच की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, जिनका उत्तर दोनों पक्षों को देना होगा।
यह भी उल्लेखनीय है कि कार्बेट प्रकरण में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में राहुल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के कोई साक्ष्य नहीं मिले, और एजेंसी ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी।
मामले की पृष्ठभूमि
वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी और कार्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक राहुल ने अपनी याचिका में बताया कि कालागढ़ क्षेत्र के पाखरो जोन में बिना शासन अनुमति के निर्माण और पेड़ों की कटान के मामले में सीबीआई जांच चल रही थी।
सीबीआई ने चार सितंबर 2025 को इस प्रकरण में कुछ अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी, लेकिन पूर्व निदेशक राहुल का नाम उस सूची में शामिल नहीं किया गया।
हालांकि, सिर्फ एक सप्ताह बाद, राज्य सरकार ने अपना रुख बदलते हुए राहुल के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को “मनमाना और प्रक्रिया-विरुद्ध” बताते हुए अदालत में चुनौती दी है विशेषकर तब, जब ईडी उन्हें पहले ही क्लीनचिट दे चुकी थी।
राहुल की ओर से दलीलें
राहुल की ओर से अदालत में कहा गया कि
- सरकार ने बिना नई जांच या ठोस साक्ष्य के मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
- पहले सरकार ने स्वयं अभियोजन अनुमति देने से इनकार किया था।
- बाद में एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर जांच दोबारा खोल दी गई, जबकि वही प्रकरण पहले ही जांचा जा चुका था।
- लगाए गए आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और उनकी कार्यप्रणाली के विपरीत हैं।
अदालत की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने इन दलीलों को सुनते हुए कहा कि
राज्य सरकार और सीबीआई, दोनों को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति किन ठोस आधारों पर दी गई।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की है।