पेस्टल वीड स्कूल द्वारा आयोजित “ग्रीन दून क्लीन दून” जन जागरूकता दौड़ 2025 का 17वां संस्करण
- “एक हरित दून हमारी विरासत है; एवं स्वच्छ दून हमारी जिम्मेदारी है”
रिपोर्ट- विकास कुमार
देहरादून। प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (PPSA) के तत्वावधान में पेस्टल वीड स्कूल के परिसर में “ग्रीन दून – क्लीन दून” जागरूकता दौड़ 2025 का 17वां संस्करण भव्य रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में दून घाटी के 21 प्रमुख स्कूलों ने दौड़ प्रतियोगिता में तथा 11 स्कूलों ने नारा (स्लोगन) प्रतियोगिता में भाग लिया।
मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट उपस्थिति
इस अवसर पर डॉ. नीलेश आनंद भरणे (आईपीएस, आईजी कुमाऊं क्षेत्र, उत्तराखंड) मुख्य अतिथि रहे।
विशिष्ट अतिथियों में डॉ. प्रेम कश्यप (अध्यक्ष, पीपीएसए), मेजर जनरल शम्मी सभरवाल (सेवानिवृत्त, पूर्व जीओसी सब एरिया, उत्तराखंड), श्रीमती किरण कश्यप (निदेशक, चिल्ड्रन्स अकादमी), श्रीमती राशि कश्यप (शैक्षणिक निदेशक, पेस्टल वीड स्कूल), सैमुअल जयदीप (प्रधानाचार्य, कैम्ब्रियन हॉल), डॉ. अनीता वर्मा (प्रधानाचार्य, पीडब्ल्यूसीआईटी), विशाल (के.सी. पब्लिक स्कूल), जतिन सेठी (उप निदेशक, दून डिफेंस अकादमी) सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
पर्यावरणीय संदेश
अपने संबोधन में डॉ. नीलेश आनंद भरणे, आईपीएस ने वनों की कटाई, प्रदूषण और शहरीकरण को गंभीर खतरा बताते हुए छात्रों से पर्यावरण योद्धा बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आज हमें केवल बदलाव की बात नहीं करनी है, बल्कि स्वयं बदलाव बनना है।”
डॉ. प्रेम कश्यप, अध्यक्ष PPSA ने प्रत्येक छात्र से हर माह एक पेड़ लगाने का संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे प्रयास भी एक स्थायी भविष्य की दिशा में बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
प्रतियोगिताएँ और परिणाम
- नारा प्रतियोगिता में छात्रों ने स्थिरता, प्रदूषण नियंत्रण और हरित भविष्य जैसे विषयों पर प्रभावशाली नारों की प्रस्तुति दी।
परिणाम:
- विजेता ट्रॉफी: द पेस्टल वीड स्कूल, देहरादून
- प्रथम उपविजेता: सेंट कबीर अकादमी
- द्वितीय उपविजेता: चिल्ड्रन्स अकादमी
कार्यक्रम की विशेषताएँ
- 21 स्कूलों ने दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया।
- 11 स्कूलों ने नारा प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
- छात्रों को मेडल, प्रमाणपत्र और ट्रॉफियाँ प्रदान की गईं।
- पूरे परिसर में “हरित बनो” का संदेश गूंजा।
यह कार्यक्रम एक पर्यावरणीय जन-जागरूकता अभियान था जिसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के संरक्षण की जिम्मेदारी का अहसास कराना है। छात्रों और शिक्षकों की उत्साही भागीदारी ने इस आयोजन को सफल बनाया।