ठगी के बदलते चेहरे। केदारनाथ से रामनगर तक धोखाधड़ी का नेटवर्क
देहरादून। उत्तराखंड में हाल के दिनों में दो ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि अपराधियों की दुनिया में ठगी और फरेब के तरीके कितने विविध और खतरनाक हो चुके हैं।
एक ओर श्रद्धालुओं की आस्था का फायदा उठाकर केदारनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टर टिकट के नाम पर साइबर ठगी की गई, तो दूसरी ओर रामनगर में विदेश में रह रहे एनआरआई की करोड़ों की जमीन को फर्जी दस्तावेज तैयार कर हड़प लिया गया।
दोनों घटनाएं अलग-अलग प्रकार के अपराधों की बानगी हैं, लेकिन संदेश एक ही है—ठगबाज अब तकनीक से लेकर सरकारी सिस्टम तक का इस्तेमाल कर आम नागरिक को निशाना बना रहे हैं।
केदारनाथ यात्रा में साइबर ठगी: आस्था पर वार
केदारनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। लेकिन इस बार गुजरात से आए श्रद्धालुओं के साथ ऐसा हादसा हुआ जिसने आस्था को झकझोर दिया। फेसबुक पर हेलीकॉप्टर टिकट बुकिंग का झांसा देकर श्रद्धालुओं से करीब 1.91 लाख रुपये हड़प लिए गए।
रुद्रप्रयाग पुलिस की साइबर सेल ने लगभग दो महीने की मेहनत के बाद इस गिरोह का पर्दाफाश किया। बिहार और ओडिशा से चार आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और उनके पास से 18 बैंक खाते, मोबाइल, सिम कार्ड और तीन लाख रुपये की रकम फ्रीज की गई।
यह घटना साफ करती है कि जैसे-जैसे धार्मिक यात्राओं की भीड़ और डिजिटल लेनदेन बढ़ा है, वैसे-वैसे साइबर ठग भी सक्रिय हो चुके हैं। श्रद्धालुओं को सस्ते और आसान टिकट का लालच देकर जाल में फंसाया जाता है।
रामनगर का भूमि घोटाला: सिस्टम की खामियों का फायदा
दूसरी घटना रामनगर की है, जहां विदेश में बसे एनआरआई बलबीर सिंह की जमीन को फर्जी दस्तावेज बनवाकर हड़प लिया गया। आरोप है कि राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोगों ने पुराने प्रमाणपत्र में हेरफेर कर नया आधार, पैन, वोटर आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस तक बनवा डाले।
इसके बाद असली मालिक की जगह नकली ‘बलबीर’ के जरिए जमीन की रजिस्ट्री कराई गई और करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा जमा लिया गया। पुलिस ने इस मामले में एक राजनीतिक दल के नेता समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
यह मामला न केवल बड़े स्तर पर जालसाजी का है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी तंत्र की कमजोरियों और भ्रष्टाचार का किस तरह से फायदा उठाकर लोगों की संपत्ति को हड़पा जा सकता है।
दोनों मामलों से क्या सबक?
- आस्था और भावनाओं पर चोट: साइबर अपराधी धार्मिक आस्थाओं और यात्राओं को ठगी का आसान माध्यम बना रहे हैं।
- सरकारी सिस्टम की कमजोर कड़ी: जमीन घोटाले यह दिखाते हैं कि रिकॉर्ड और दस्तावेजों में हेरफेर करना कितना आसान बना हुआ है।
- तकनीक का दुरुपयोग: जहां डिजिटलाइजेशन ने सुविधाएं दी हैं, वहीं अपराधियों के लिए भी नए रास्ते खोल दिए हैं।
- लोगों की लापरवाही: चाहे टिकट बुकिंग हो या संपत्ति के दस्तावेज, जागरूकता की कमी भी अपराधियों की मददगार बन रही है।
केदारनाथ से रामनगर तक की ये दो घटनाएं केवल उदाहरण हैं। हकीकत यह है कि साइबर ठगी और भूमि घोटाले अब संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहे हैं।
पुलिस की सक्रियता और कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जब तक आम लोग सतर्क नहीं होंगे और सिस्टम की कमजोरियों को दुरुस्त नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसे अपराध रुकने वाले नहीं।