अपराध: उत्तराखंड में महिला सुरक्षा पर सवाल। गोपेश्वर और उत्तरकाशी की घटनाओं ने बढ़ाई चिंता

उत्तराखंड में महिला सुरक्षा पर सवाल। गोपेश्वर और उत्तरकाशी की घटनाओं ने बढ़ाई चिंता

देहरादून। उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। बीते दिनों सामने आई दो घटनाओं गोपेश्वर में ब्लॉक प्रमुख की गिरफ्तारी और उत्तरकाशी में महिलाओं की चोरी-छिपे तस्वीरें बनाते युवक की करतूत ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था बल्कि स्थानीय राजनीति और समाज की सोच पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

गोपेश्वर: ब्लॉक प्रमुख पर दुष्कर्म का आरोप

दशोली विकासखंड के ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख विपिन कंडारी को एक युवती से दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

थानाध्यक्ष विनोद चौरसिया के अनुसार, पीड़िता ने तहरीर देकर आरोप लगाया कि कंडारी ने शादी का झांसा देकर लंबे समय से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की। जांच में यह भी सामने आया कि कंडारी पहले एक संगठन से जुड़े छात्र नेता रह चुके हैं और पीड़िता से उनकी जान-पहचान वहीं से हुई थी।

यह मामला न सिर्फ महिला सुरक्षा बल्कि सत्ता और पद पर बैठे नेताओं की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करता है।

उत्तरकाशी: महिलाओं की तस्वीरें बनाते युवक को भीड़ ने पकड़ा

उत्तरकाशी के मुख्य बाजार में बुधवार शाम हड़कंप तब मच गया जब 24 वर्षीय अरशद अहमद अंसारी, निवासी इंदिरा कॉलोनी, को चोरी-छिपे महिलाओं और युवतियों की आपत्तिजनक तस्वीरें व वीडियो बनाते पकड़ा गया।

बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने आरोपी को रंगे हाथों पकड़कर उसकी पिटाई की और बाद में पुलिस को सौंप दिया। उसके मोबाइल में कई महिलाओं की तस्वीरें मिलीं। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मोबाइल जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। इस घटना से बाजार में तनाव का माहौल बन गया और महिलाओं में डर गहराया।

संगठनों का आक्रोश और कार्रवाई की मांग

दोनों घटनाओं के बाद सामाजिक संगठनों और स्थानीय जनता ने सरकार और पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उत्तरकाशी मामले में विहिप, बजरंग दल और उत्तराखंड क्रांति दल ने सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर ऐसे मामलों में कठोर कदम नहीं उठाए गए तो महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर संकट पैदा होगा।

महिला सुरक्षा और राजनीतिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न

इन दोनों घटनाओं ने एक साथ यह दिखा दिया है कि—

  • सत्ता और पद पर बैठे लोग भी कानून को ताक पर रखकर महिलाओं का शोषण कर सकते हैं।
  • सार्वजनिक जगहों पर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और अपराधी खुलेआम तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
  • प्रशासन की चौकसी और रोकथाम के उपायों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

राज्य सरकार और पुलिस की चुनौती

उत्तराखंड में जहां एक तरफ बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्याएं हैं, वहीं महिला सुरक्षा अब सबसे बड़ी चिंता बनकर उभर रही है। सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती यह है कि ऐसे मामलों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई हो, ताकि समाज में विश्वास बहाल किया जा सके।

इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा और राजनीति—दोनों को नए सिरे से आत्ममंथन की जरूरत है।