बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड सचिवालय में भ्रष्टाचार पर सीएम की सख्ती, दागी अफसरों की गोपनीय फाइल तैयार

उत्तराखंड सचिवालय में भ्रष्टाचार पर सीएम की सख्ती, दागी अफसरों की गोपनीय फाइल तैयार

रिपोर्ट- अमित भट्ट

देहरादून। उत्तराखंड सचिवालय, जिसे वर्षों से ‘भ्रष्टाचार का गढ़’ माना जाता रहा है, अब मुख्यमंत्री की सीधी पकड़ में है। सूत्रों के अनुसार सीएम ने अपने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि सचिवालय के कुख्यात अफसरों की गोपनीय फाइल तैयार की जाए।

इसमें उनकी करतूतों का क्रमवार ब्यौरा दर्ज होगा। इस लिस्ट में वे अफसर भी होंगे जिन्होंने राजनीतिक दबाव के दम पर जांचें दबवाईं या टाल दीं।

अनुभाग अधिकारी ‘खान’ का साम्राज्य ध्वस्त

सचिवालय प्रशासन में अनुभाग अधिकारी खान का दबदबा इतना बढ़ गया था कि फाइलें सीधे अपर मुख्य सचिव तक जाने लगीं। हाल ही में 10 अधिकारियों की डीपीसी फाइल एक महीने तक दबाकर रखने पर मामला सीएम तक पहुंचा और अगले ही दिन खान की छुट्टी हो गई।

‘नेता टाइप’ अफसर और डीपीसी का खेल

एक और अधिकारी पर आरोप है कि उसने सुविधा शुल्क लेकर डीपीसी में हेराफेरी की। जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद राजनीतिक दबाव में फाइल दबा दी गई। यही नहीं, सूचना आयोग ने सूचना छिपाने पर इस अफसर पर जुर्माना भी ठोका था।

‘आरडीएक्स’ और ‘मिस 50,000’ की कहानी

वित्त विभाग का एक अनुभाग अधिकारी ‘आरडीएक्स’ नाम से कुख्यात है। उस पर फाइलें गायब करने और पैसों की वसूली के आरोप हैं।

वहीं, एक महिला अधिकारी ‘मिस 50,000’ के नाम से मशहूर है। मालदार फाइलों पर उनके सिग्नेचर की दर तय है,₹50,000।

मुख्यमंत्री कार्यालय का स्थायी सदस्य

सचिवालय का एक अफसर बीते 20 साल से मुख्यमंत्री कार्यालय में ही जमा है। चार बार प्रमोशन मिलने के बावजूद उसने कभी बाहर कदम नहीं रखा। आरोप है कि उसकी वजह से ट्रांसफर पॉलिसी दम तोड़ चुकी है।

आईएएस अफसर भी रडार पर

  • सूत्रों के मुताबिक पांच आईएएस अधिकारी भी मुख्यमंत्री की निगरानी सूची में हैं।
  • एक दंपति पर लंदन में संपत्ति खरीदने और बारी-बारी से विदेश जाने के आरोप हैं।

एक अन्य आईएएस पर आपदा का फायदा उठाकर 50 से अधिक इंजीनियरों के ट्रांसफर और करोड़ों की कमाई करने का आरोप है।

सचिवालय की गिरती साख

पिछले दस वर्षों में सचिवालय की गरिमा बुरी तरह प्रभावित हुई है। सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसर अपने चहेतों को खुली छूट देकर ईमानदार अधिकारियों को किनारे कर रहे हैं। सचिवालय अब “कुछ भ्रष्ट अफसरों की प्रयोगशाला” बन चुका है।