बिग ब्रेकिंग: UKSSSC पेपर लीक प्रकरण में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन समेत दो गिरफ्तार, मुख्य आरोपी खालिद फरार

UKSSSC पेपर लीक प्रकरण में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन समेत दो गिरफ्तार, मुख्य आरोपी खालिद फरार

रिपोर्ट- अमित भट्ट

देहरादून। उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं की मेहनत और उम्मीदें एक बार फिर से पेपर लीक कांड की भेंट चढ़ गईं। रविवार को आयोजित उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र मात्र 35 मिनट के भीतर मोबाइल पर पहुंच गया।

विशेष जांच टीम (एसआईटी) की तेजी से हुई कार्रवाई में अमरोड़ा डिग्री कॉलेज, टिहरी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन और आरोपी खालिद की बहन हिना को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि मुख्य आरोपी खालिद और उसकी दूसरी बहन साबिया अब भी फरार हैं।

पेपर लीक का पूरा खेल

एसआईटी की जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि परीक्षा सुबह 11 बजे शुरू हुई और 11:35 बजे ही प्रश्नपत्र के तीन पन्नों पर दर्ज 12 सवाल असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन के व्हाट्सएप पर पहुंच गए। सुमन ने तुरंत पेपर हल करना शुरू किया और जवाब खालिद को भेज दिए।

जांच में सामने आया कि इस दौरान खालिद की बहनें – साबिया और हिना – भी सक्रिय थीं। वे लगातार सुमन से व्हाट्सएप कॉल पर संपर्क में थीं। उत्तर हल होते ही उन्हें बॉबी पंवार तक पहुंचा दिया गया। ये सारे डिजिटल सबूत चैट, कॉल रिकॉर्ड और समय एसआईटी ने कब्जे में लिए हैं।

गिरफ्तारी और फरारी

पुलिस ने केस दर्ज होने के तुरंत बाद कार्रवाई करते हुए सुमन और हिना को गिरफ्तार कर लिया। दोनों से पूछताछ चल रही है। लेकिन मुख्य आरोपी खालिद और उसकी बहन साबिया फरार हैं। पुलिस की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं और तकनीकी सर्विलांस के जरिए उनकी लोकेशन ट्रैक की जा रही है।

नकल माफिया का नेटवर्क

यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड में परीक्षा और भर्ती प्रक्रियाओं की पवित्रता पर सवाल उठे हों। पिछले दिनों पुलिस ने परीक्षा से एक दिन पहले अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए 12 से 15 लाख रुपए की डीलिंग करते पकड़े गए कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह और उसके साथी पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया था।

हाकम सिंह पहले भी कई भर्ती घोटालों में आरोपी रहा है। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद हाल ही में जमानत पर बाहर आया था। बावजूद इसके, उसने दोबारा नेटवर्क सक्रिय कर दिया। यह साफ करता है कि नकल माफिया के तार शिक्षा जगत से लेकर प्रशासन तक फैले हुए हैं।

एसएसपी की सख्त कार्रवाई

देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एसआईटी का गठन किया। सोमवार को रिपोर्ट सामने आने पर भर्ती में अनुचित साधन रोकथाम एवं निवारण अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

एसपी देहात जया बलोनी को इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच सौंपी गई है। पुलिस अब इस मामले में सिर्फ गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहना चाहती। सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों पर कड़ी धाराएं लगाने, संपत्ति कुर्की करने और नेटवर्क का पूरी तरह सफाया करने का मन बनाया गया है।

सिस्टम की खुली पोल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि परीक्षा का पेपर परीक्षा केंद्र से बाहर कैसे पहुंचा? जांच में सामने आया कि अंदर बैठे परीक्षार्थियों और बाहरी नेटवर्क की मिलीभगत ने पूरा खेल बिगाड़ा।

जब सिस्टम के भीतर बैठे जिम्मेदार लोग ही भ्रष्ट हो जाएं, तो युवाओं की मेहनत और सपनों पर कुठाराघात होना तय है। एक असिस्टेंट प्रोफेसर जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति का इस कांड में शामिल होना पूरे शिक्षा तंत्र की साख पर धब्बा है।

डिजिटल सबूत बने गवाह

इस पूरे मामले की कड़ी पुलिस ने डिजिटल माध्यम से जोड़ ली है। व्हाट्सएप चैट, कॉल रिकॉर्ड और डाटा रिकवरी से साफ हो गया है कि सुमन ने ही सवाल हल करके खालिद तक पहुंचाए। यही सबूत अदालत में सबसे बड़ा हथियार साबित होंगे।

युवाओं के सपनों पर चोट

उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों का सपना देखने वाले लाखों बेरोजगार युवाओं के लिए यह घटना किसी गहरे सदमे से कम नहीं है। अभ्यर्थी सालों तक तैयारी करते हैं, महंगे कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई करते हैं और परिवार से दूर रहकर संघर्ष करते हैं। लेकिन हर बार पेपर लीक और नकल माफिया की वजह से उनका सपना टूट जाता है।

पिछली घटनाओं की याद

यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाएं सवालों के घेरे में आई हों। 2022 और 2023 में भी बड़े पैमाने पर पेपर लीक और नकल कांड सामने आए थे। कई बार तो पूरे पेपर ही परीक्षा से पहले वायरल हो गए। हर बार जांच और गिरफ्तारी के दावे हुए, लेकिन नेटवर्क खत्म नहीं हुआ।

सरकार और प्रशासन पर सवाल

भर्ती प्रक्रिया पर लगातार उठ रहे सवाल सरकार और आयोग की विश्वसनीयता पर गहरा आघात कर रहे हैं। युवा पीढ़ी अब यह मानने लगी है कि निष्पक्ष भर्ती की उम्मीद करना बेमानी है। अगर सरकार ने इस बार कड़ा कदम नहीं उठाया तो आने वाले समय में प्रतिभाशाली युवाओं का भरोसा पूरी तरह से टूट जाएगा।

आगे की राह

पुलिस और प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। कई ऐसे लोग बेनकाब होंगे जो पर्दे के पीछे से इस गोरखधंधे को चला रहे हैं।

सरकार पर अब दबाव है कि वह सख्त कानून, तेज सुनवाई और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए। तभी युवाओं का भरोसा बहाल हो सकेगा।

UKSSSC पेपर लीक प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड की परीक्षा प्रणाली कितनी खोखली हो चुकी है। एक ओर बेरोजगार युवा दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर माफिया और सिस्टम के भ्रष्ट लोग उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

यह सिर्फ एक पेपर लीक नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के सपनों, मेहनत और उम्मीदों का कत्ल है। अगर इस बार दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो उत्तराखंड की पूरी भर्ती प्रणाली पर से जनता का भरोसा हमेशा के लिए उठ जाएगा।