बिग ब्रेकिंग: पहली शादी छिपाकर दूसरी शादी करने पर हाईकोर्ट सख्त। कहा, यह दुष्कर्म माना जाएगा

पहली शादी छिपाकर दूसरी शादी करने पर हाईकोर्ट सख्त। कहा, यह दुष्कर्म माना जाएगा

देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश देते हुए कहा है कि यदि कोई पुरुष अपनी पूर्व वैध शादी को छिपाकर किसी अन्य महिला से विवाह करता है और उसके आधार पर शारीरिक संबंध बनाता है, तो यह भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दुष्कर्म (रेप) की श्रेणी में आएगा।

न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने देहरादून निवासी अभियुक्त सार्थक वर्मा की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में महिला की सहमति “भ्रमित सहमति” (misconceived consent) होगी, जिसे वास्तविक सहमति नहीं माना जा सकता।

मामला कैसे शुरू हुआ

सितंबर 2021 में पीड़िता ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि अभियुक्त सार्थक वर्मा ने अपनी पहली शादी छिपाकर अगस्त 2020 में उससे हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया।

विवाह के बाद पीड़िता को दहेज प्रताड़ना और मानसिक-शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ा। बाद में जब सच सामने आया कि अभियुक्त पहले से विवाहित है, तो पीड़िता ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया।

धाराओं में उलझा विवाद

शुरुआत में मामले में 498ए, 494, 377, 323, 504, 506 और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धाराएं लगीं। बाद में जांच अधिकारी ने IPC की धारा 375(4), 376, 493, 495 और 496 जैसी गंभीर धाराएं भी आरोपपत्र में शामिल कर दीं।

अभियुक्त और पीड़िता का पक्ष

सार्थक वर्मा की ओर से दलील दी गई कि जांच निष्पक्ष नहीं हुई और पीड़िता उसकी शादी के बारे में पहले से जानती थी। वहीं, पीड़िता और राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि यदि महिला को पहली शादी की जानकारी होती, तो वह कभी विवाह या शारीरिक संबंध के लिए तैयार नहीं होती।

कोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने माना कि आरोपी ने अपनी शादी छिपाकर विवाह और संबंध बनाए। यह महिला की सहमति नहीं, बल्कि “भ्रमित सहमति” है, जो IPC की धारा 375(4) के तहत दुष्कर्म की श्रेणी में आता है।

अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया गंभीर अपराध बनते हैं, इसलिए निचली अदालत का आदेश सही है। साथ ही, अभियुक्त को मिली अंतरिम राहत भी समाप्त कर दी गई।