विशेष रिपोर्ट: दून में बारिश ने तोड़ा 101 साल का रिकॉर्ड। 17 मौतें, 13 लापता। दर्जनों घर जमींदोज, कई पुल टूटे, कई सड़कें बंद

दून में बारिश ने तोड़ा 101 साल का रिकॉर्ड। 17 मौतें, 13 लापता। दर्जनों घर जमींदोज, कई पुल टूटे, कई सड़कें बंद

देहरादून। बारिश की बूंदें जैसे ही धरती से टकराईं, दून घाटी में चीख-पुकार मच गई। अंधेरी रात में अचानक गड़गड़ाहट के साथ नदियां उफान पर आ गईं। कहीं घर की दीवारें भरभराकर गिर पड़ीं, तो कहीं दुकानों और होटलों में पांच फीट तक पानी घुस गया। लोग जान बचाने के लिए छतों और पेड़ों पर चढ़ गए। पलभर में खुशियों का शहर मातम में बदल गया। यह मंजर किसी प्रलय से कम नहीं था।

बारिश ने तोड़ा 101 साल का रिकॉर्ड

देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में सोमवार रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने इतिहास का सबसे भयावह रिकॉर्ड बना दिया। सहस्रधारा में 24 घंटे में 264 मिमी बारिश दर्ज हुई, जिसने पिछले 101 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। नदियां रौद्र रूप में आ गईं और देखते ही देखते पुल ढह गए, मकान बह गए और सैकड़ों परिवार बेघर हो गए।

मौत और तबाही का सिलसिला

इस आपदा ने अब तक 17 लोगों की जान ले ली है, जबकि 13 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।

  • झाझरा क्षेत्र में आसन नदी ने खनन मजदूरों को निगल लिया।
  • मालदेवता के फुलेट गांव में मकान ढहने से 8 मौतें।
  • चकराता में पत्थर गिरने से एक मौत।
  • राजपुर, रायपुर और डालनवाला से भी शव बरामद।

गुच्चूपानी और सहस्रधारा: सबसे बड़ा कहर

गुच्चूपानी (रॉबर्स केव) का दृश्य किसी फिल्मी आपदा से कम नहीं था। टोंस नदी का सैलाब वहां बने मकान बहा ले गया। दुकानों और कैंटीनों में पांच से छह फीट पानी भर गया। दुकानदार राजेश राणा कहते हैं, “हमारी पूरी दुकान बह गई। सरकार टैक्स लेती है लेकिन सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं करती।”

सहस्रधारा में तो हालात और भी भयावह रहे। होटलों और रेस्टोरेंटों में मलबा भर गया। वाहनों को पानी बहा ले गया। झील टूटने की अफवाह ने अफरा-तफरी मचा दी। पर्यटक नेहा शर्मा ने बताया, “हम छुट्टियां मनाने आए थे, लेकिन मौत से बचने की जंग लड़नी पड़ी। होटल में पानी भर गया और हमें बच्चों के साथ छत पर शरण लेनी पड़ी।”

पुल टूटने से गांव कटे

प्रेमनगर की नंदा की चौकी पर टोंस नदी पर बना पुल टूट जाने से विकासनगर और देहरादून का संपर्क टूट गया। अब ग्रामीणों को लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है। विक्रम नेगी नामक ग्रामीण ने कहा, “यह पुल हमारी जिंदगी की डोर था। अब अस्पताल और बाजार तक पहुंचना तक मुश्किल हो गया है।”

मसूरी में भूस्खलन और फंसे पर्यटक

मसूरी में लगातार बारिश से भूस्खलन हुआ है। सड़कों पर बोल्डर और कीचड़ आने से मार्ग अवरुद्ध हो गए। दिल्ली से आए पर्यटक अंकित वर्मा ने कहा, “सुबह से ही सड़क पर फंसे हैं। न खाना है न पानी। बच्चों की हालत बिगड़ रही है।”

प्रशासन अलर्ट पर, मुख्यमंत्री का आश्वासन

आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमों को तैनात किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और आश्वासन दिया कि सरकार हरसंभव मदद करेगी। उन्होंने कहा, “आपदा की इस घड़ी में सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है।

दहशत और चेतावनी

दून घाटी में इस समय हालात बेहद गंभीर हैं। लोग डरे-सहमे घरों से निकलकर सुरक्षित जगहों की तलाश कर रहे हैं। यह तबाही एक चेतावनी भी है कि जलवायु परिवर्तन और अव्यवस्थित विकास ने पहाड़ों की नाज़ुक भूगोल को और संवेदनशील बना दिया है। दून घाटी की यह त्रासदी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कहीं विकास की दौड़ में हम अपने अस्तित्व को दांव पर तो नहीं लगा रहे।

आपदा के आंकड़े

  • 264 मिमी बारिश (24 घंटे में, सहस्रधारा)
  • 17 मौतें
  • 13 लापता
  • दर्जनों घर जमींदोज
  • कई पुल टूटे, सड़कें बंद
  • एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की 12 से अधिक टीमें राहत कार्य में जुटी।
  • मुख्यमंत्री का हवाई सर्वेक्षण और त्वरित राहत पैकेज की घोषणा।