एक्सक्लूसिव: नौकरी नहीं, धोखा मिला। फर्जी NGO गिरोह ने बेटियों से छीना सब कुछ

नौकरी नहीं, धोखा मिला। फर्जी NGO गिरोह ने बेटियों से छीना सब कुछ

देहरादून। उत्तराखंड की भोली-भाली बेटियों को एक कथित स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) गिरोह के जाल में फंसाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

चोरगलिया (नैनीताल) की युवती और उसके पिता ने बड़ा खुलासा करते हुए आरोप लगाया कि देहरादून में सक्रिय यह संस्था नौकरी और अच्छे वेतन का झांसा देकर युवतियों से धन ऐंठ रही है और मानसिक उत्पीड़न कर रही है।

पूर्व राज्यपाल कोश्यारी से लगाई गुहार

चोरगलिया निवासी सिमरन बोहरा ने अपने पिता भीम सिंह और भाजपा नेता पान सिंह मेवाड़ी के साथ पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। सिमरन ने बताया कि उसकी बहन को बंधक बनाकर रखा गया और 38 हजार रुपये लूट लिए गए। रजिस्ट्रेशन के नाम पर 3 हजार रुपये लिए गए और 20 हजार रुपये वेतन का झांसा दिया गया।

कोश्यारी ने इस मामले को गंभीर मानते हुए पुलिस अधिकारियों से बातचीत की और पीड़िताओं को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

पैसे मंगाने और धमकाने का बनाया दबाव

अल्मियाकाडे गांव निवासी सुरेंद्र सिंह मेहरा ने बताया कि उनकी बेटी नीलम को भी इस गिरोह ने अपने जाल में फंसा लिया था। मार्च में नौकरी का लालच देकर उसे देहरादून बुलाया गया और उसके खाते से एक लाख रुपये से अधिक की रकम निकाल ली गई। लगातार घर से पैसे मंगाने का दबाव बनाया जाता रहा। बड़ी मुश्किल से नीलम वहां से निकल पाई।

फेसबुक और वीडियो कॉल पर दोस्ती करने का दबाव

पीड़ित युवतियों का आरोप है कि यह गिरोह बेहद शातिर तरीके से काम करता है। लड़कियों पर फेसबुक के जरिए लड़कों से दोस्ती करने और वीडियो कॉल पर उन्हें फंसाने का दबाव डाला जाता है। शक न हो, इसके लिए युवतियों को देहरादून में अलग-अलग जगहों पर रखा जाता है और घरवालों से संपर्क तक नहीं करने दिया जाता।

पुलिस को सौंपे नाम, मिल रही धमकियां

सिमरन ने नेहरू कॉलोनी थाने में तहरीर दी है और एनजीओ से जुड़े कुछ युवक-युवतियों के नाम भी पुलिस को सौंपे हैं। उसका आरोप है कि अभी भी उसे फोन पर जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

कई गांवों में सक्रिय गिरोह?

पीड़ित परिजनों का मानना है कि बेतालघाट, रामगढ़, ताड़ीखेत ब्लॉक समेत कई गांवों की लड़कियां इस जाल में फंसी हो सकती हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों और अभिभावकों में दहशत का माहौल है।

बड़ा सवाल

  • आखिर देहरादून में सक्रिय इस गिरोह को अब तक किसने संरक्षण दिया?
  • लड़कियों को लंबे समय तक बंधक बनाए जाने के बावजूद पुलिस और प्रशासन की नजर से यह गतिविधि कैसे छिपी रही?
  • क्या यह सिर्फ नौकरी और ठगी का मामला है, या इसके पीछे कोई और बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है?

यह मामला समाज और सरकार दोनों के लिए चेतावनी की घंटी है। यदि समय रहते इस गिरोह की पूरी परतें नहीं खोली गईं, तो पहाड़ की और बेटियां भी इसकी शिकार हो सकती हैं।