बिग ब्रेकिंग: हाईकोर्ट का सख्त रुख: नदियों का चैनलाइजेशन न होने पर सरकार से जवाब-तलब

हाईकोर्ट का सख्त रुख। नदियों का चैनलाइजेशन न होने पर सरकार से जवाब-तलब

नैनीताल। बरसात में नंधौर, गौला, कोसी, गंगा, दाबका समेत अन्य नदियों से आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की समस्या पर नैनीताल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया।

शुक्रवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार के आला अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश हुए, लेकिन उनके तर्कों से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई।

कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि “पूर्व आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं हुआ? नदियों का चैनलाइजेशन अपनी मशीनरी से क्यों नहीं किया गया? अवैध खनन पर रोक क्यों नहीं लगी?”

अधिकारियों के जवाब पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट ने अवैध खनन और नदियों के चैनलाइजेशन पर विस्तृत एक्शन प्लान रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। अब अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

उस दिन पीसीसीएफ हॉफ, सचिव सिंचाई और फॉरेस्ट कॉरपोरेशन एमडी को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहना होगा।

यह सुनवाई आरटीआई एक्टिविस्ट भुवन पोखरिया की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हो रही है। पोखरिया ने आरोप लगाया कि सरकार की लापरवाही से बरसात में नदियों का रुख आबादी की ओर मुड़ जाता है, जिससे उधमसिंह नगर, हल्द्वानी, रामनगर, हरिद्वार, रुड़की और देहरादून जैसे इलाकों में हर साल बाढ़ का खतरा खड़ा होता है।

याचिका में कहा गया कि सरकार ने 14 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट के उस आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें नदियों से गाद, बोल्डर और मलबा हटाकर चैनलाइजेशन करने को कहा गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि बरसात में बाढ़ और भू कटाव से बचाव के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।