जिला पंचायत अध्यक्ष आरक्षण पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर आरक्षण और नियमावली से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को तय की है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ता जितेंद्र शर्मा व अन्य ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर कराए हैं, जबकि कई जिलों में जनसंख्या अनुपात बदल चुका है।
वरिष्ठ अधिवक्ता देव दत्त कामथ ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से पैरवी करते हुए तर्क दिया कि सरकार ने आरक्षण रोस्टर तय करने में नियमों की अनदेखी की।
हरिद्वार में चुनाव न होने पर सवाल
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जहां ओबीसी की सर्वाधिक आबादी है (हरिद्वार), वहां चुनाव ही नहीं कराए गए। जबकि जनसंख्या कम वाले जिलों में आरक्षण लागू कर दिया गया।
फिर से आरक्षण रोस्टर जारी करने की मांग
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की कि नया आरक्षण रोस्टर नियमों के अनुसार तय किया जाए, न कि केवल 2011 की जनगणना के आधार पर।