देहरादून को असुरक्षित बताने वाली रिपोर्ट पर महिला आयोग सख्त, कंपनी तलब
- अगली सुनवाई 15 सितंबर को, प्रबंध निदेशक समेत पूरी रिसर्च टीम की अनिवार्य उपस्थिति
देहरादून। उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने राजधानी देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित करार देने वाली राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट एवं सूचकांक (नारी) 2025 पर सख्ती दिखाई है।
आयोग ने रिपोर्ट जारी करने वाली पीवैल्यू एनालिटिक्स कंपनी को कठघरे में खड़ा कर दिया है। साथ ही कंपनी के प्रबंध निदेशक और पूरी रिसर्च टीम को दस्तावेजों सहित अगली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया है।
सुनवाई में कंपनी का जवाब अधूरा
सोमवार को आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में कंपनी की ओर से प्रतिनिधि मयंक ढैय्या मौजूद रहे। लेकिन वे आयोग के सवालों पर ठोस जवाब देने में नाकाम रहे। उन्होंने यह कहकर क्षमा मांगी कि रिपोर्ट केवल एक “एकेडमिक रिसर्च” का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य किसी शहर की छवि खराब करना नहीं था।
हालांकि, आयोग उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। अध्यक्ष कंडवाल ने कहा, “कंपनी के प्रतिनिधि के पास बुनियादी जानकारी का अभाव है। यदि रिपोर्ट के पीछे ठोस आधार नहीं है, तो यह केवल धारणा-आधारित आंकड़े हैं, जो समाज और महिलाओं की सुरक्षा की वास्तविक तस्वीर को गुमराह करते हैं।”
रिपोर्ट में गंभीर खामियां
आयोग की जांच में कई सवाल खड़े हुए हैं:-
- किन महिलाओं से सर्वे किया गया—वर्किंग वूमेन या गृहिणी—इसका स्पष्ट ब्योरा नहीं।
- टेलीफोनिक सर्वे में पूछे गए सवाल सार्वजनिक नहीं किए गए।
- एकेडमिक रिसर्च के मानकों और पारदर्शिता की घोर कमी पाई गई।
आयोग का सख्त आदेश
- 15 सितंबर 2025 को अगली सुनवाई होगी।
- कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं शोध दल की अनिवार्य उपस्थिति रहेगी।
- सभी दस्तावेज, सर्वे प्रश्नावली, प्रक्रिया और मीटिंग की मिनट्स रिपोर्ट एक सप्ताह में आयोग को उपलब्ध करानी होगी।
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
कुसुम कंडवाल ने कहा कि, “यदि कंपनी संतोषजनक स्पष्टीकरण और प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहती है, तो आयोग आवश्यक कानूनी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा। किसी भी कंपनी को अपने लाभ के लिए किसी शहर की छवि खराब करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

