बारिश से तबाह सेब बेल्ट, मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा माल। काश्तकार बोले “कहां है डबल इंजन की सरकार?”
उत्तरकाशी। लगातार हो रही बारिश ने पहाड़ के सेब काश्तकारों की कमर तोड़ दी है। जनपद उत्तरकाशी के आराकोट-बंगाड़ क्षेत्र सहित पूरी सेब बेल्ट में जगह-जगह सड़क संपर्क मार्ग टूटने से हालात बिगड़ गए हैं।
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खेतों से तुड़ान कर पैकिंग तक का काम किसान अपने संसाधनों से पूरा कर चुके हैं, लेकिन सड़कें बंद होने से सेब की पेटियां और प्लास्टिक ट्रे बागानों और स्टोरेज सेंटरों में ही सड़ रही हैं। कई टन सेब खराब भी हो चुका है।
घोड़े-खच्चर तैयार, पर सड़कें बंद
स्थानीय काश्तकारों ने मजदूरी और ढुलाई के लिए नेपाली मजदूरों और घोड़े-खच्चरों की व्यवस्था कर ली थी, लेकिन बंद रास्तों ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश से हालात और खराब होते जा रहे हैं। आलम यह है कि पैदल आवाजाही भी मुश्किल हो गई है।
खाद्यान्न संकट भी गहराया
सिर्फ सेब ही नहीं, स्थानीय इलाकों में खाद्यान्न और जरूरी सामान का संकट भी गहराता जा रहा है। बारिश और सड़क बंदी के कारण गांवों तक सप्लाई नहीं पहुंच पा रही है।
काश्तकारों की सरकार से गुहार
क्षेत्र के सेब काश्तकारों ने उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द सड़क संपर्क मार्गों को खोलने की व्यवस्था की जाए और उनके नुकसान की भरपाई की जाए। किसानों का कहना है कि उद्यान और राजस्व विभाग के अधिकारियों को मौके पर भेजकर बगीचों और स्टोरेज केंद्रों का मुआयना करवाया जाए।
“हमारा सेब पैकिंग के बावजूद मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा है। रोज़गार और मेहनत पर पानी फिर रहा है। हम चाहते हैं कि सरकार तुरंत राहत पैकेज घोषित करे।” – सेब काश्तकार
प्रभावित क्षेत्र
बारिश से सेब उत्पादन प्रभावित होने वाले गांवों में त्यूणी, आराकोट, चींवा, बलावट, झोटाड़ी, अडासू, मौंडा, जागटा, बरनाली, डगोली और थापली-गोकुल शामिल हैं। इन इलाकों में सेब का कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है।