जिला पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट सख्त, एसएसपी की कार्यशैली पर उठाए सवाल
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव मामले की सुनवाई के दौरान आज मुख्य न्यायाधीश तरेंद्र सिंह और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर कड़े सवाल खड़े किए।
सुनवाई में चुनाव आयोग के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सेठी ने बताया कि जिलाधिकारी और एसएसपी से फाइनल रिपोर्ट मांगी गई है तथा पराजित प्रत्याशी ने भी लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि डीजीपी से भी रिपोर्ट तलब की गई है और सभी पक्षों को सुनने के बाद ही आयोग रिपोल या जीत-हार पर अंतिम निर्णय लेगा।
चुनाव आयोग ने कोर्ट को अवगत कराया कि शुक्रवार को सभी प्रभावित पक्षों—डीएम, प्रत्याशी और याचिकाकर्ता—को आयोग में बुलाया गया है, जहां उनके बयान दर्ज कर समिति अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने कोर्ट में दलील दी कि जिलाधिकारी के पत्रों से स्पष्ट है कि री-पोल की संभावना है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राज्य सरकार का अधिवक्ता चुनाव आयोग की ओर से बहस कैसे कर सकता है।
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि “एसएसपी की रिपोर्ट 20 तारीख को आ चुकी थी, फिर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कप्तान की लापरवाही से ही घटनाएं हुईं।
आयोग के पास पर्याप्त सामग्री मौजूद थी, फिर भी एसएसपी को नोटिस तक नहीं भेजा गया। यह भी तथ्य है कि एसपी इंटेलिजेंस ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया था कि बाहर से लोग माहौल बिगाड़ सकते हैं।”
सीजे ने आगे कहा कि इस मामले में केवल एसएसपी ही नहीं, बल्कि डीएम भी अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे। अदालत ने चुनाव आयोग से स्पष्ट किया कि “यह बहस का मुद्दा नहीं है कि कौन बहस कर रहा है, बल्कि सवाल जवाबदेही का है।”
मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।