आपदा में डूबा उत्तराखंड। अगस्त ने दिए गहरे जख्म
देहरादून। अगस्त का महीना उत्तराखंड के लिए सबसे भयावह साबित हुआ। पहाड़ों पर आसमान से आफत बरसी, कहीं बादल फटे, कहीं झील बनी, तो कहीं बाजार मलबे में तब्दील हो गए। भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं ने देवभूमि की रफ्तार थाम दी।
करीब ₹1,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान प्रदेश को झेलना पड़ा। सबसे ज्यादा असर सड़कों और पुलों पर पड़ा, जिससे यातायात और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
5 अगस्त : धराली आपदा
- अगस्त की शुरुआत ही उत्तरकाशी की धराली आपदा से हुई।
- खीरगाड़ में आई भीषण बाढ़ में 4 लोगों की मौत हुई, कई लोग मलबे में दब गए।
- पूरा बाजार जलप्रलय की चपेट में आ गया।
- गंगोत्री हाईवे बाधित हो गया और राहत पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया।
- इस आपदा की भयावह तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचीं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दुख जताया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। सेना को रेस्क्यू के लिए MI-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर लगाने पड़े।
6 अगस्त : पौड़ी में तबाही
- धराली के अगले ही दिन पौड़ी जिले में भीषण तबाही हुई।
- सैंजी और रैदुल पट्टी क्षेत्र में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।
- मकान और कृषि भूमि बर्बाद हो गई।
- सीएम पुष्कर सिंह धामी खुद मौके पर पहुंचे और पीड़ितों से मिले।
6 से 15 अगस्त : केदारनाथ यात्रा बार-बार रोकी गई
- भारी बारिश का असर यात्रा सीजन पर भी पड़ा।
- 6 अगस्त को सोनप्रयाग–गौरीकुंड मार्ग पर मलबा आने से केदारनाथ यात्रा रोकी गई।
- इसके बाद 15 अगस्त तक कई बार यात्रा स्थगित करनी पड़ी।
- प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहा और हालात सामान्य होने पर ही यात्रा संचालित की गई।
14 अगस्त : बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब यात्रा पर रोक
- 14 अगस्त को भारी बारिश के कारण बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा स्थगित की गई।
- ट्रेकिंग रूट और अन्य ट्रेकिंग स्थल भी अस्थायी तौर पर बंद कर दिए गए।
21 अगस्त : स्यानाचट्टी में झील
- उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी कस्बे में 21 अगस्त को हालात बिगड़ गए।
- कुपड़ा गाड़ से आए मलबे ने यमुना नदी का प्रवाह रोक दिया और 400 मीटर लंबी, 300 मीटर चौड़ी झील बन गई।
- झील का जलस्तर बढ़ने से कस्बे में पानी घुस गया।
- होटल और मकान डूबने लगे, जिसके बाद प्रशासन ने 60 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया।
- स्थिति को देखते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गईं।
22 अगस्त : थराली आपदा
- चमोली जिले के थराली क्षेत्र में भारी बारिश ने तबाही मचाई।
- चेपड़ों गांव और थराली बाजार बुरी तरह प्रभावित हुए।
- कई सड़कें टूट गईं, जिससे रेस्क्यू मुश्किल हो गया।
- आपात स्थिति में हेलीपैड बनाकर घायलों को एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स भेजा गया।
- सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया।
28 अगस्त : रुद्रप्रयाग में बादल फटा
- महीने के आखिर में रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार क्षेत्र में कुदरत ने कहर बरपाया।
- बादल फटने से छेनागाड़ बाजार मलबे में तब्दील हो गया।
- 18 भवन जमींदोज हो गए और 8 लोग लापता बताए गए।
- बिंदेश्वर महादेव मंदिर भी मलबे में दब गया।
- अलकनंदा का उफान, धारी देवी मंदिर खतरे में
- 28 अगस्त की रात अलकनंदा नदी उफान पर आ गई।
- धारी देवी मंदिर के पिलर पानी में डूब गए।
- श्रीनगर और देवप्रयाग के घाट पूरी तरह डूबे।
- रुद्रप्रयाग–श्रीनगर हाईवे नदी में समा गया।
नतीजा : अगस्त ने छोड़ दिए गहरे जख्म
- अगस्त 2025 की प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तराखंड को आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तर पर हिला दिया।
- हजारों लोग बेघर हुए।
- सैकड़ों किलोमीटर सड़कें टूटीं।
- तीर्थयात्राएं प्रभावित हुईं।
- प्रदेश को हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा।
यह महीना साफ संदेश दे गया कि उत्तराखंड को अब आपदा प्रबंधन, नदी चैनलाइजेशन और सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में तेज़ कदम बढ़ाने होंगे, वरना हर साल पहाड़ इसी तरह की त्रासदी झेलने को मजबूर रहेंगे।