बिग ब्रेकिंग: डिजिटल अरेस्ट केस में हाईकोर्ट ने याचिका को जनहित याचिका में बदला। RBI व टेलीकॉम कंपनियों को बनाया पक्षकार

डिजिटल अरेस्ट केस में हाईकोर्ट ने याचिका को जनहित याचिका में बदला। RBI व टेलीकॉम कंपनियों को बनाया पक्षकार

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार की याचिका को जनहित याचिका मानते हुए “डिजिटल अरेस्ट” जैसे बढ़ते साइबर अपराधों पर सख्ती दिखाते हुए बड़ी कार्रवाई की है।

कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) समेत समस्त बैंकों और टेलीकॉम कंपनियों को इस मामले में पक्षकार बनाने और एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 4 सितम्बर को होगी।

IG इंटेलिजेंस और SSP कोर्ट में पेश

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान आईजी इंटेलिजेंस सुनील मीणा, एसएसपी हरिद्वार प्रमेंद्र डोबाल और साइबर सेल अधिकारी वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए।

एसएसपी ने कोर्ट को जानकारी दी कि याचिकाकर्ता के साथ ठगी का प्रयास करने वालों की पहचान कर ली गई है और उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

क्या है मामला?

हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार ने कोर्ट को बताया कि एक माह पहले उन्हें दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों से कॉल आईं। कॉल करने वालों ने खुद को अदालत से जुड़ा बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ है।

उनसे 30 हजार रुपये तुरंत जमा करने को कहा गया और पैसे भेजने के लिए कई QR स्कैनर दिए गए।
शिकायत के बावजूद स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता से परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली।

बढ़ता डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड

फर्जी कॉल्स और स्कैम के जरिए “डिजिटल अरेस्ट” के मामले देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। जालसाज खुद को CBI, ED, टेलीकॉम विभाग या पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं, फिर QR कोड या बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने को कहते हैं।

STF ने रांची से पकड़े आरोपी

इसी बीच, उत्तराखंड STF ने बुधवार को रांची (झारखंड) से एक बड़े साइबर फ्रॉड में शामिल बाप-बेटे को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी मोबाइल नंबर बंद करने और डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुके हैं। इन्हें देहरादून कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा गया।

उत्तराखंड में चिंताजनक हालात

  • जनवरी से 15 जुलाई तक: 16,249 साइबर ठगी की शिकायतें
  • दर्ज मुकदमे: 122
  • ठगी की रकम: 84 करोड़ रुपये से ज्यादा

हाईकोर्ट की सख्ती

कोर्ट ने साफ किया है कि बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने के लिए RBI, बैंकिंग संस्थान और टेलीकॉम कंपनियां जिम्मेदारी तय करें। SOP बनाकर लोगों को जागरूक करना और ठगों पर कार्रवाई तेज करना अनिवार्य है।