मल्लीताल में लकड़ी के भवन में लगी भीषण आग, प्रशासन की तत्परता से बड़ा हादसा टला
नैनीताल। मल्लीताल क्षेत्र के मोहनको चौक स्थित एक पुराने लकड़ी के भवन में मंगलवार रात लगभग 10:04 बजे भीषण आग लग गई।
आग की सूचना मिलते ही जिला आपदा परिचालन केंद्र नैनीताल ने फायर सर्विस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, जल संस्थान और स्वास्थ्य विभाग समेत तमाम राहत एवं बचाव एजेंसियों को तत्काल मौके पर रवाना किया।
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शॉर्ट सर्किट से लगी आग
प्रथम दृष्टया आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। लकड़ी के बने इस भवन में आग की लपटें बेहद तेजी से फैलीं, जिससे रेस्क्यू कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो गया।
वरिष्ठ अधिकारी मौके पर
घटना की गंभीरता को देखते हुए आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल, एसएसपी नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा, एसपी क्राइम डॉ. जगदीश चंद्र, एडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी, एसडीएम नवाजिश खालिक और कोतवाल हेम चंद्र पंत सहित तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों का नेतृत्व किया।
बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाए
हल्द्वानी, रामनगर, भवाली, भीमताल, रुद्रपुर, अल्मोड़ा, रानीखेत और सितारगंज से अतिरिक्त अग्निशमन वाहन और जल टैंकर बुलाए गए। साथ ही आर्मी और एयरफोर्स के फायर टेंडर भी मौके पर पहुंचे।
स्थानीय नागरिकों, सिविल पुलिस, राजस्व टीम, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और अन्य विभागों के सहयोग से रात करीब 12:00 बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया।
नुकसान का आकलन जारी
प्रशासन ने पुष्टि की है कि अब तक कोई जनहानि नहीं हुई है। हालांकि, भवन को हुए नुकसान का आकलन जारी है। रेस्क्यू और कूलिंग ऑपरेशन अभी भी सतर्कता के साथ जारी है।
जनप्रतिनिधि भी मौके पर
स्थानीय विधायक सरिता आर्य भी घटना स्थल पर मौजूद रहीं और राहत कार्यों की जानकारी ली। प्रशासन की तत्परता और सभी एजेंसियों के समन्वित प्रयास से एक बड़ा हादसा टल गया।
इतिहासविद् प्रोफेसर की बहन की मौत
मल्लीताल के मोहनको चौराहे पर स्थित ऐतिहासिक ओल्ड लंदन हाउस बुधवार देर रात भीषण आग की लपटों में राख हो गया। हादसे में इतिहासविद् प्रोफेसर अजय रावत की 85 वर्षीय बहन शांता बिष्ट की जिंदा जलकर दर्दनाक मौत हो गई। उनका शव पूरी तरह जलकर फर्श से चिपका हुआ मिला।
रात करीब साढ़े नौ बजे अचानक लगी आग ने देखते ही देखते 1863 में बने लकड़ी के इस भवन को अपनी चपेट में ले लिया। आसपास अफरा-तफरी मच गई। लोग जान बचाने को दौड़े, वहीं कई युवाओं ने जान जोखिम में डालकर भीतर फंसे लोगों को बचाने की कोशिश की। हालांकि धुएं और लपटों के कारण सबको नहीं निकाला जा सका।
दमकल की गाड़ियां देर से पहुंचीं, जिस पर लोगों ने लापरवाही का आरोप लगाया। पास में ही फायर स्टेशन होते हुए भी आग पर पानी की बौछार करीब एक घंटे बाद शुरू हो सकी।
तब तक आग भयावह रूप ले चुकी थी। हल्द्वानी, भीमताल, रामनगर, ऊधमसिंह नगर, रानीखेत और अल्मोड़ा से अतिरिक्त दमकल गाड़ियां बुलाई गईं। सेना और एयरफोर्स के फायर टेंडर भी मौके पर पहुंचे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग लगने से पहले भवन से जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट को आग की वजह माना जा रहा है। प्रशासन ने तुरंत बिजली आपूर्ति बंद कर आसपास के मकान खाली करा दिए। धुएं और आग की तीव्रता के कारण रेस्क्यू में काफी दिक्कतें आईं।
घटना की जानकारी मिलते ही आईजी कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल, एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा, एडीएम शैलेंद्र नेगी समेत तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य का जायजा लिया। विधायक सरिता आर्या भी घटनास्थल पर मौजूद रहीं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि दमकल समय पर पहुंचती तो नुकसान इतना बड़ा न होता। फिलहाल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम खाक हो चुके भवन में सर्च अभियान चला रही हैं।