लाशों तक से कमाई कर रहे प्राइवेट अस्पताल, मोर्चा ने दी चेतावनी। “अब तालों से होगी तिजोरी बंद”
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने प्राइवेट अस्पतालों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के अधिकांश नामी अस्पताल हैवानियत की सारी हदें पार कर चुके हैं।
मरीजों के इलाज के नाम पर तो लूट मची ही है, अब मृतकों के शव पर भी दवाइयां, इंजेक्शन और स्टेंट थोपकर परिजनों से अवैध वसूली की जा रही है।
नेगी ने पत्रकार वार्ता में खुलासा किया कि हाल ही में देहरादून के एक बड़े निजी अस्पताल में तड़के 2 बजे एक मरीज को भर्ती किया गया। उसकी एंजियोग्राफी कराई गई, लेकिन कुछ ही घंटे बाद उसकी मौत हो गई।
जब परिजन शव लेने पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने स्टेंट व अन्य खर्चों के नाम पर ₹2 लाख जमा करने की शर्त रख दी, जबकि जांच में पाया गया कि स्टेंट डाले ही नहीं गए थे। मोर्चा के हस्तक्षेप के बाद भारी दबाव बना तो अस्पताल ने ₹10–20 हजार की रकम लेकर शव परिजनों को सौंपा।
नेगी ने कहा कि कई अस्पताल मृतप्राय (ब्रेन डेड) मरीजों को वेंटिलेटर पर दिनों तक रोके रखते हैं ताकि परिजनों से मोटी रकम वसूली जा सके। उनका आरोप है कि इन अस्पतालों के लिए मरीज आज सिर्फ “कमाई का जरिया” बनकर रह गया है, चाहे वह जिंदा रहे या मर जाए।
मोर्चा अध्यक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे जानबूझकर बेखबर बने हुए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इन अस्पतालों की मॉनिटरिंग क्यों नहीं हो रही? आयुष्मान और गोल्डन कार्ड योजनाओं में भी बड़े घोटाले चल रहे हैं, जिनका खुलासा जल्द किया जाएगा।
मोर्चा ने ऐसे अस्पतालों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर लूट-खसोट बंद नहीं हुई तो प्रदेशभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा और अस्पतालों पर ताले लगवाए जाएंगे।
पत्रकार वार्ता में दिलबर सिंह और अमित जैन भी मौजूद रहे।