बेतालघाट फायरिंग मामले में थाना प्रभारी निलंबित
नैनीताल। उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 में 14 अगस्त का दिन बेतालघाट क्षेत्र के लिए दहशत और अफरा-तफरी भरा रहा। प्रमुख और उप-प्रमुख पद के चुनाव के दौरान यहां अचानक हुई फायरिंग ने लोकतांत्रिक माहौल को दागदार कर दिया।
गोलियों की आवाज से मतदान केंद्र के आसपास भगदड़ मच गई और चुनाव प्रक्रिया कुछ समय के लिए ठप हो गई।
चुनावी माहौल और टकराव
बेतालघाट क्षेत्र पंचायत में प्रमुख पद को लेकर दो खेमों के बीच कड़ी टक्कर थी। एक ओर निर्दलीय, कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी खड़ा था, तो दूसरी ओर भाजपा समर्थित प्रत्याशी मैदान में थे। सुबह से ही मतदान केंद्र के बाहर दोनों पक्षों के समर्थक जुटे थे।
करीब दोपहर के समय अचानक विवाद बढ़ा और देखते ही देखते तीन राउंड फायरिंग हो गई। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
घटना के समय मौके पर पुलिस बल मौजूद था, फिर भी फायरिंग को रोका नहीं जा सका। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विवाद की आशंका पहले से थी, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था उतनी कड़ी नहीं रखी गई थी। इस लापरवाही पर अब राज्य निर्वाचन आयोग ने सख्ती दिखाई है।
आयोग की कार्रवाई
- भवाली के पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रमोद शाह को विभागीय जांच के लिए चिह्नित किया गया।
- बेतालघाट थाना प्रभारी अनीश अहमद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कहा है कि चुनाव के दौरान हिंसा, गड़बड़ी या लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आयोग के इस कदम को चुनाव की निष्पक्षता और कानून-व्यवस्था बहाल रखने की दिशा में बड़ा संदेश माना जा रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद क्षेत्रीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की कानून-व्यवस्था पर विफलता बताया, जबकि सत्तारूढ़ दल ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पंचायत चुनाव जैसे लोकतांत्रिक पर्व की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं।
बड़ा सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ग्रामीण चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है? पंचायत चुनाव गांवों की लोकतांत्रिक बुनियाद हैं, लेकिन यदि इनमें हिंसा और गोलियां शामिल होंगी, तो लोकतंत्र का संदेश कमजोर होगा।