सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस किया बंद, IMA की याचिका खारिज
नई दिल्ली। पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ भ्रामक विज्ञापनों को लेकर चल रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए यह केस बंद कर दिया।
अदालत ने साफ कहा कि चूँकि केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय का नियम 170 हटा दिया है, इसलिए अब इस मामले में कोई राहत देने का प्रश्न ही नहीं उठता।
क्यों बंद हुआ केस?
- आयुष मंत्रालय का नियम 170 हटना: पहले आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन से पहले मंजूरी लेना जरूरी था, लेकिन जुलाई 2024 में यह नियम हटा दिया गया।
- विज्ञापन को सामान्य प्रक्रिया बताया: जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि सरकार जब किसी दवा के निर्माण की अनुमति देती है, तो उसका विज्ञापन करना सामान्य कारोबारी प्रक्रिया है।
- कोर्ट की शक्ति सीमित: अदालत ने यह भी कहा कि वह सरकार द्वारा हटाए गए नियम को दोबारा लागू नहीं कर सकती।
केस की अहम टाइमलाइन
- 2022: IMA ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दाखिल की।
- 21 नवंबर 2023: पतंजलि ने भविष्य में भ्रामक विज्ञापन न चलाने का वादा किया।
- 9–10 अप्रैल 2024: रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने अपर्याप्त माना।
- 16 अप्रैल 2024: रामदेव कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
- 7 मई 2024: कोर्ट ने भ्रामक दवाएं हटाने और विज्ञापनों में शामिल सेलिब्रिटी/इन्फ्लुएंसर की जिम्मेदारी तय करने का आदेश दिया।
- 1 जुलाई 2024: आयुष मंत्रालय ने नियम 170 हटाया।
- 13 अगस्त 2024: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद की।
- अगस्त 2025: सुप्रीम कोर्ट ने IMA की याचिका पूरी तरह बंद की।
आगे क्या?
इस फैसले के बाद अब पतंजलि सहित सभी आयुर्वेदिक कंपनियों के लिए विज्ञापन देने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। हालाँकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि झूठे और भ्रामक दावों पर रोक लगाने के लिए पहले से मौजूद कानून लागू रहेंगे।
मतलब अब आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापनों पर पहले जैसी सख्ती नहीं होगी, लेकिन झूठे दावे करने पर कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई का रास्ता खुला रहेगा।