सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला। आवारा कुत्ते सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स में रखे जाएंगे, समाज में बंटा मत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हालिया आदेश में कहा है कि देशभर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स में रखा जाए, ताकि वे खुले में न घूमें और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
यह निर्णय हाल के महीनों में बढ़ते डॉग अटैक मामलों और संसद में पेश एक रिपोर्ट के बाद लिया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन कुत्तों को सड़क से हटाया जाएगा, उनकी देखभाल और भोजन की पुख्ता व्यवस्था हो, और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए।
इस आदेश के बाद समाज में दो धाराएं सामने आई हैं। कुछ लोग इसे जनसुरक्षा के लिए आवश्यक कदम मानते हैं, जबकि अन्य का कहना है कि कुछ घटनाओं की वजह से सभी कुत्तों को “सजा” देना अमानवीय है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने कहा, “यह आदेश संतुलित है, क्योंकि इसमें न केवल नागरिकों की सुरक्षा का ध्यान रखा गया है, बल्कि जानवरों की देखभाल की भी व्यवस्था की गई है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए तो यह इंसान और जानवर दोनों के हित में होगा।”
सामाजिक कार्यकर्ता जोगिंदर सिंह का मत है, “हम इंसानों की सुरक्षा के नाम पर जानवरों के साथ क्रूरता नहीं कर सकते। असली समाधान है—बड़े पैमाने पर नसबंदी और टीकाकरण अभियान, जिससे उनकी आबादी और आक्रामकता दोनों पर नियंत्रण हो।”
विभा चुग, जो लंबे समय से स्ट्रे डॉग रेस्क्यू से जुड़ी हैं, ने कहा, “कुत्ते सड़क से हटाने भर से समस्या हल नहीं होगी। शेल्टर होम्स में जगह, फंड और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। बिना तैयारी के यह फैसला और समस्याएं पैदा कर सकता है।”
संजय महापात्रा, एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, का कहना है, “शहरों में बढ़ते कुत्ता हमलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है, बशर्ते शेल्टर होम्स में पारदर्शिता और मानवीय व्यवस्था हो।”