धराली आपदा पर एक विशेष रिपोर्ट सिर्फ आपके लिए, पढ़ें विस्तार से….
उत्तरकाशी/धराली। धराली आपदा के ग्राउंड जीरो पर राहत और बचाव का काम अब तकनीक की मदद से आगे बढ़ रहा है। एनडीआरएफ के कैडेवर डॉग्स (शव खोजी कुत्ते) ने आठ अलग-अलग स्थानों पर मलबे के नीचे शव होने के संकेत दिए हैं।
लेकिन खुदाई शुरू होते ही नीचे से पानी निकलने के कारण ऑपरेशन बीच में रोकना पड़ा। अब यहां ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) से स्कैनिंग की जा रही है, ताकि मलबे के भीतर दबे ढांचों का सटीक पता लगाया जा सके और समय व श्रम की बचत के साथ खोज की जा सके।
एनडीआरएफ डीआईजी गंभीर सिंह चौहान के अनुसार, यह रडार तरंगों के जरिए जमीन के नीचे मौजूद संरचनाओं की लोकेशन दिखाता है। स्कैनिंग के बाद सिर्फ उन जगहों पर खुदाई होगी, जहां से स्पष्ट संकेत मिलेंगे। भारी मशीनें यहां तक पहुंचने में असमर्थ हैं, इसलिए ज्यादातर खुदाई मैन्युअल तरीके से की जा रही है।
रेस्क्यू का दूसरा चरण – शवों की तलाश
धराली में आपदा के बाद पहले चरण में फंसे लोगों को निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब दूसरे चरण में लापता लोगों और शवों की खोज जारी है। रविवार को कैडेवर डॉग्स ने आठ स्थानों पर संकेत दिए, लेकिन पानी के कारण खुदाई संभव नहीं हो पाई। एक अन्य स्थान, जहां आपदा के दौरान वीडियो में लोग भागते दिखे थे, वहां भी खुदाई हुई लेकिन पानी ने रुकावट डाली।
आर्थिक और कृषि नुकसान – उत्तरकाशी में 70% बगीचे तबाह
आपदा ने न सिर्फ जानें लीं, बल्कि उत्तरकाशी के बागवानी और कृषि को भी गहरा घाव दिया। उद्यान विभाग के प्रारंभिक सर्वे के मुताबिक, जिले के 70% सेब, प्लम और खुमानी के बगीचे बर्बाद हो गए।
- कुल 10480.18 हेक्टेयर बगीचों में से 7502.59 हेक्टेयर का नुकसान सिर्फ उत्तरकाशी में हुआ।
- जखोल, सुनकुण्डी, धारा, पांव मल्ला, पांव तल्ला और नूराणु में आलू, राजमा और मडुवा की 3.903 हेक्टेयर फसल नष्ट हुई।
- टिहरी जिले में 1565 हेक्टेयर और देहरादून जिले में 955 हेक्टेयर बगीचे प्रभावित हुए हैं।
धराली निवासी जय भगवान पंवार बताते हैं कि, “होटल, घर और बगीचे… सब कुछ चला गया। 200 से ज्यादा सेब के पेड़ थे, जिन्हें 20 साल की मेहनत से खड़ा किया था।”
मानवीय त्रासदी – अक्षित की आंखों में इंतजार
धराली के छह वर्षीय अक्षित पंवार के माता-पिता और छोटे भाई का अब तक कोई सुराग नहीं है। हादसे से एक दिन पहले स्कूल की छुट्टी न होने पर उसे मामा के घर छोड़ दिया गया था।
अब वह बार-बार मम्मी-पापा और भाई की तस्वीरें देखने की जिद करता है। सोशल मीडिया पर आपदा के वीडियो देखते ही उन्हें हटा देता है, मानो उस सच को स्वीकार नहीं करना चाहता।
लापता और रेस्क्यू अपडेट
आयुक्त गढ़वाल मंडल विनय शंकर पांडेय के अनुसार
- अब तक 43 लोग लापता, जिनमें नौ सेना कर्मी, धराली के आठ स्थानीय निवासी, आसपास के पांच लोग, टिहरी का एक, बिहार के 13 और यूपी के छह मजदूर शामिल हैं।
- 29 नेपाली मजदूरों में से पांच से संपर्क हो चुका है, बाकी 24 के बारे में जल्द जानकारी मिलने की उम्मीद है।
- रेस्क्यू टीम अब तक 1278 लोगों को सुरक्षित निकाल चुकी है।
जन पहल- ‘उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच’ बना सहारा
स्थानीय लोगों ने 2010 में ‘उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच’ का गठन किया था, जो आपदा के समय पीड़ितों, सरकार और राहत एजेंसियों के बीच सेतु का काम करता है। इस बार भी मंच के 80 से अधिक स्वयंसेवक धराली पहुंचकर राहत सामग्री और मदद पहुंचा रहे हैं।
मंच के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद सेमवाल कहते हैं कि, “सरकारी मदद अक्सर समय पर नहीं पहुंचती। हम सुनिश्चित करते हैं कि जरूरतमंदों तक सही समय पर राहत पहुंचे और उन्हें उनके हाल पर न छोड़ा जाए।”
सरकार और विशेषज्ञों की तैनाती
- मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार बेहतर राहत पैकेज के लिए तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है।
- देहरादून से 10 भू-वैज्ञानिकों की विशेष टीम मौके पर भेजी गई है।
- भागीरथी नदी पर बनी झील से पानी निकालने का काम शुरू हो चुका है।
- डबरानी और सोनगाड के बीच सड़क बहाली जारी है, और खच्चरों के जरिए गैस सिलेंडर पहुंचाए जा रहे हैं।
धराली आपदा सिर्फ एक प्राकृतिक त्रासदी नहीं, बल्कि उत्तराखंड की नाजुक भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक चुनौतियों का आईना है। यहां हर एक लापता इंसान की तलाश, हर तबाह खेत और बगीचे की भरपाई, और हर टूटे परिवार की जिंदगी को पटरी पर लाना एक लंबी और मुश्किल लड़ाई होगी।
खीरगंगा उद्गम स्थल की हिमनद झील का एमआरटी ने किया आकलन, बचाव कार्य तेज
धराली आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत व बचाव अभियान तेज हो गया है। मंगलवार को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (निम) की संयुक्त माउंटेन रेस्क्यू टीम (एमआरटी) ने खीरगंगा के उद्गम स्थल पर बनी हिमनद झील का रडार और ड्रोन के जरिए निरीक्षण कर आकलन किया। टीम अब विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी।
इंसीडेंट कमांडर और आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी ने बताया कि ग्राउंड जीरो पर आधुनिक उपकरणों से मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी है। वहीं, बीआरओ और स्थानीय विभागों को मार्ग सुचारु करने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, आपदा में एक व्यक्ति की मृत्यु और 68 लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है, जिनमें 25 नेपाल मूल के मजदूर भी शामिल हैं। सोमवार तक यह संख्या 42 थी, लेकिन सूची अपडेट होने के बाद आंकड़ा बढ़ा है।
भागीरथी में बनी झील से पानी निकासी के लिए सिंचाई विभाग और यूजेवीएनएल की टीमों ने चैनलाइजेशन और फंसे मलबे को हटाने का कार्य शुरू कर दिया है। एनडीआरएफ दो बोट के साथ हर्षिल झील में भी काम कर रही है।
धराली–मुखबा झूला ब्रिज की बुनियाद मजबूत करने का कार्य लोनिवि करेगा, जबकि दबराणी से सोनगाड़ और हर्षिल से धराली तक के मार्ग को दो दिनों में खोलने का दावा किया गया है।
खीरगंगा का जल स्तर बढ़ने से बचाव टीमों के लिए बनाई गई संपर्क पुलिया बह गई थी, जिसे दोबारा बनाया गया है। गड्ढों में भरे पानी को खाली कर खोज अभियान फिर से शुरू किया गया है। घायल चार लोगों में से दो सेना अस्पताल, एक जिला अस्पताल उत्तरकाशी और एक एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं।