धराली त्रासदी। उत्तरकाशी में तबाही के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन तेज, सीएम से लेकर सेना तक मैदान में
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। खीर गंगा नदी में अचानक आए मलबे और बाढ़ ने गंगोत्री यात्रा के मुख्य पड़ाव धराली कस्बे को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया।
आधे मिनट में ही होटल, घर, बाजार, होमस्टे मलबे में समा गए। अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, 135 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है, जबकि 200 से ज्यादा लोग अभी भी गांव के भीतर फंसे हैं।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री लगातार ले रहे अपडेट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से दो बार फोन पर बात कर पूरी स्थिति की जानकारी ली है। पीएम मोदी ने केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने भी बुधवार सुबह ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचकर धराली, हर्षिल और आसपास के इलाकों का निरीक्षण किया और राहत कार्यों की समीक्षा की।
सेना, एनडीआरएफ और आईटीबीपी जुटे, लेकिन मौसम बनी चुनौती
रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और उत्तरकाशी पुलिस जुटी हुई हैं। लेकिन बारिश लगातार हो रही है, जिससे राहत कार्यों में बार-बार बाधा आ रही है। गंगोत्री नेशनल हाईवे कई स्थानों पर धंस चुका है, जिससे राहत टीमों को मौके पर पहुंचने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
- भटवाड़ी के पास सड़क धंसी,
- नेताला और मनेरी के बीच नदी से कटाव,
- हर्षिल हेलीपैड डूबा, हेलीकॉप्टर ऑपरेशन रुका हुआ।
सीटी से दी जाती है आपदा की चेतावनी, लेकिन तेज़ शोर में दब गई आवाज
धराली जैसे दुर्गम गांवों में आपदा की सूचना देने के लिए लोग सीटी का सहारा लेते हैं। लेकिन मंगलवार को आई तेज़ बाढ़ और मलबे की आवाज़ में चेतावनी की सीटी दब गई और कई जिंदगियां मलबे में समा गईं। यह घटना उत्तराखंड की उस पारंपरिक चेतावनी प्रणाली की सीमाओं को भी उजागर करती है जो अब मौसमी बदलावों के आगे बौनी साबित हो रही है।
“बादल फटा नहीं”, जियोलॉजिस्ट ने ग्लेशियर डिपॉजिट स्लाइड को बताया कारण
जहां मौसम विभाग इस आपदा को “क्लाउडबर्स्ट” मानने से इनकार कर रहा है, वहीं भूटान के PHPA-1 प्रोजेक्ट में कार्यरत जियोलॉजिस्ट इमरान खान का कहना है कि यह आपदा ग्लेशियर डिपॉजिट स्लाइड के कारण आई है। उनका दावा है कि धराली से ऊपर 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक विशाल मलबे का हिस्सा अचानक नीचे गिरा, जिससे भारी बाढ़ और तबाही हुई।
डॉक्टरों की स्पेशल टीम तैनात, 11 विशेषज्ञ मौके पर
आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाएं भी सक्रिय हैं। मेडिकल टीम में 5 सर्जन, 4 ऑर्थो और 2 फिजिशियन शामिल हैं, जिन्हें धराली क्षेत्र में इलाज और सहायता के लिए भेजा गया है। इन डॉक्टरों को अगले आदेश तक वहीं सेवाएं देने को कहा गया है।
धराली में आपदा ने सबकुछ छीन लिया
जो धराली कभी पर्यटकों का पड़ाव था, आज एक खंडहर में बदल गया है। लोग बेसुध हैं, किसी को अपनों की तलाश है तो किसी की आँखों में रातभर का खौफ। आधे मिनट की आपदा ने कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया।
कांग्रेस भी मैदान में, प्रदेश अध्यक्ष पहुंचे मौके पर
धराली आपदा की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस ने भी सक्रियता दिखाई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा देर रात उत्तरकाशी के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा, “राजनीति अपनी जगह है, लेकिन इस वक्त इंसानियत सबसे पहले है।”
हर साल की तरह फिर मानसून ने दिए जख्म
धराली की त्रासदी एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि उत्तराखंड हर साल मानसून में किसी न किसी त्रासदी का शिकार होता है। जलवायु परिवर्तन, अनियोजित निर्माण और कमजोर आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली इस खतरे को और गहरा कर देती है।