बड़ी खबर: उत्तराखंड में बारिश का कहर। ऋषिकेश में गंगा उफान पर, त्रिवेणी घाट-परमार्थ निकेतन जलमग्न

उत्तराखंड में बारिश का कहर। ऋषिकेश में गंगा उफान पर, त्रिवेणी घाट-परमार्थ निकेतन जलमग्न

  • लोगों के घरों में घुसा पानी, चंद्रभागा और बीन नदियों ने भी दिखाया रौद्र रूप
  • मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित, लगातार बारिश ने बढ़ाई मुसीबत

देहरादून। उत्तराखंड में मौसम विभाग का भारी बारिश का अलर्ट बिल्कुल सटीक साबित हो रहा है। लगातार बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और मैदानों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है।

ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा के करीब पहुंच चुका है। त्रिवेणी घाट, परमार्थ निकेतन आरती घाट सहित कई क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं।

गंगा का उफान: परमार्थ घाट और त्रिवेणी घाट डूबे

  • गंगा का पानी अब शिव मूर्ति को छूते हुए बह रहा है।
  • परमार्थ निकेतन आरती घाट पूरी तरह डूब गया है, आरती अब सुरक्षित स्थान पर की जा रही है।
  • त्रिवेणी घाट भी जलमग्न है, स्नान पर प्रशासन ने रोक लगा दी है।

चंद्रभागा और बीन नदी में उफान, पुलिस ने की मुनादी

  • चंद्रभागा नदी के किनारे रहने वालों को पुलिस मुनादी कर अलर्ट कर रही है।
  • बीन नदी उफान पर है, छोटे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रोकी गई है।
  • लोग ट्रैक्टर से नदी पार करने को मजबूर हैं।

लोगों के घरों में घुसा पानी, सोशल मीडिया पर मदद की गुहार

  • शिवाजी नगर, चंद्रेश्वर नगर, मनसा देवी कॉलोनी सहित कई इलाकों में घरों में पानी भर गया है।
  • लोगों का सामान बर्बाद हो गया, कई परिवार सुरक्षित ठिकानों की तलाश में हैं।
  • सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो और तस्वीरें वायरल, प्रशासन से तुरंत राहत की मांग।

सड़कों पर मलबा, जेसीबी से रास्ते खोलने में जुटा प्रशासन

  • भारी बारिश से कई पहाड़ी रास्तों पर लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आई हैं।
  • प्रशासन द्वारा जेसीबी लगाकर सड़कें खोलने के प्रयास किए जा रहे हैं।
  • लोगों को पर्वतीय मार्गों पर यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।

प्रशासन की अपील:- “नदी किनारे न जाएं, पहाड़ी मार्गों से दूरी बनाएं। किसी भी आपात स्थिति में 112 या स्थानीय नियंत्रण कक्ष से संपर्क करें।”— जिला प्रशासन, ऋषिकेश

2013 की आपदा जैसे हालात

गंगा की लहरें जिस तरह से घाटों को डुबो रही हैं, वह 2013 की त्रासदी की याद दिला रहा है। प्रशासन की सतर्कता जरूरी है, क्योंकि गंगा और सहायक नदियों का रौद्र रूप आगे और भारी संकट खड़ा कर सकता है।