मनसा देवी हादसे पर राजाजी नेशनल पार्क प्रशासन का पक्ष: ‘हमने कई बार दी चेतावनी, कार्रवाई में नहीं मिला सहयोग’
हरिद्वार। मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुए दुखद हादसे में जहां श्रद्धालुओं की जान गई, वहीं राजाजी नेशनल पार्क प्रशासन पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि यह इलाका वर्षों से अतिक्रमण और अनियंत्रित गतिविधियों से प्रभावित रहा है, जिसे लेकर पार्क प्रशासन ने कई बार उच्चाधिकारियों और प्रशासन को आगाह किया था।
क्या है राजाजी पार्क प्रशासन की भूमिका?
राजाजी नेशनल पार्क देश के प्रमुख संरक्षित वन क्षेत्रों में से एक है, जिसका मुख्य उद्देश्य है —
- वन्यजीव संरक्षण
- पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा
- पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना
मां मनसा देवी मंदिर जाने वाला सीढ़ी मार्ग पार्क क्षेत्र की सीमा से होकर गुजरता है, लेकिन भीड़ प्रबंधन, दुकान व्यवस्था, सफाई व सुरक्षा की जिम्मेदारी पार्क प्रशासन की नहीं, बल्कि स्थानीय नगर निकायों, पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन की होती है।
वर्षों से हो रहा था अवैध अतिक्रमण, कई बार उठाई गई आवाज
राजाजी टाइगर रिज़र्व के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार:-
- 2011, 2014, 2017 और 2023 में लिखित रूप से जिला प्रशासन व मंदिर समिति को चेताया गया था।
पत्रों में स्पष्ट किया गया था कि
- सीढ़ी मार्ग पर अवैध दुकानें लगाई जा रही हैं।
- वन क्षेत्र की जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है।
- भीड़ बढ़ने पर गंभीर दुर्घटनाओं की आशंका है।
“हमने बार-बार आग्रह किया कि भीड़ नियंत्रण, अतिक्रमण हटाने और मंदिर मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए स्थायी योजना बनाई जाए, लेकिन बात अनसुनी रह गई।” – अधिकारी, राजाजी पार्क।
अवैध वसूली से पार्क प्रशासन का कोई संबंध नहीं
हाल में सामने आए 6 करोड़ सालाना अवैध वसूली के आरोपों को लेकर पार्क प्रशासन ने अपना पक्ष स्पष्ट किया है।
- राजाजी पार्क किसी प्रकार की वसूली, दुकान आबंटन या नकद लेन-देन में शामिल नहीं है।
- यदि कोई व्यक्ति या समूह पार्क का नाम लेकर अवैध वसूली करता रहा है, तो यह स्पष्ट रूप से अपराध की श्रेणी में आता है, जिसकी जांच होनी चाहिए।
- वन विभाग सिर्फ वन्यजीव और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए उत्तरदायी है, न कि धार्मिक या व्यापारिक गतिविधियों की निगरानी के लिए।
हादसे के बाद तुरंत की गई कार्रवाई
पार्क प्रशासन और जिला प्रशासन ने हादसे के तुरंत बाद संयुक्त रूप से:
- सभी अस्थायी ढांचों को हटाया।
- श्रद्धालुओं की आवाजाही के मार्ग को खाली कराया।
- अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की।
- अस्थायी नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई।
क्या कहती है पार्क की नीति?
वन अधिनियम के अनुसार:
- किसी भी प्रकार की व्यापारिक गतिविधि या निर्माण कार्य संरक्षित क्षेत्र में अनुमति के बिना पूरी तरह अवैध है।
- इसके लिए राज्य सरकार, मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन को संयुक्त रूप से जिम्मेदारी निभानी होती है।
अब क्या समाधान है?
राजाजी पार्क प्रशासन ने सरकार से मांग की है कि:
- मंदिर मार्ग को स्थायी रूप से प्रशासकीय निगरानी में लाया जाए।
- अवैध दुकानों को नियंत्रित किया जाए।
- और वन क्षेत्र को पुनः प्राकृतिक स्थिति में लौटाया जाए।
गौरतलब है कि, राजाजी पार्क का दायित्व पर्यावरणीय सुरक्षा का है, न कि व्यावसायिक व्यवस्था का। यह हादसा केवल एक विभाग की चूक नहीं, बल्कि संयुक्त प्रशासनिक तंत्र की सामूहिक विफलता है। आगे से ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए स्थायी नीति, जवाबदेही और पारदर्शिता जरूरी है।
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