बिग ब्रेकिंग: चंडी देवी मंदिर प्रबंधन विवाद। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से दो हफ्ते में मांगा जवाब

चंडी देवी मंदिर प्रबंधन विवाद। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से दो हफ्ते में मांगा जवाब

  • सेवायतों की याचिका पर सुनवाई, परंपरा बनाम सरकारी हस्तक्षेप पर उठे सवाल

नई दिल्ली। हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मां चंडी देवी मंदिर के प्रबंधन में बद्री-केदार मंदिर समिति (BKTC) द्वारा की गई रिसीवर नियुक्ति को लेकर उपजे विवाद पर अब सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है।

मंदिर के परंपरागत सेवायतों (पुजारियों) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सेवायतों का कहना है कि मंदिर की व्यवस्था पीढ़ियों से उनके परिवार द्वारा संभाली जाती रही है और सरकार या किसी भी धार्मिक समिति को इस पर एकतरफा निर्णय लेने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। याचिका में BKTC की ओर से नियुक्त रिसीवर को परंपरा और धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध बताया गया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि “मंदिरों की पारंपरिक व्यवस्थाएं, धार्मिक स्वतंत्रता और पूजा पद्धति संविधान द्वारा संरक्षित हैं। ऐसे में राज्य सरकार का पक्ष जानना आवश्यक है।

सेवायतों की ओर से कहा गया कि BKTC की नियुक्ति असंवैधानिक, एकतरफा और भावनात्मक रूप से आहत करने वाली है, जिसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए।

क्या है विवाद की जड़

हरिद्वार का मां चंडी देवी मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख शक्तिपीठों में गिना जाता है। हाल ही में BKTC ने मंदिर की व्यवस्था देखने के लिए एक रिसीवर नियुक्त किया, जिसे सेवायतों ने अपने अधिकारों और परंपराओं पर सीधा आघात बताया है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।

सुनवाई का अगला चरण अगस्त के मध्य में संभावित है, जिसमें उत्तराखंड सरकार की प्रतिक्रिया और स्पष्टीकरण के बाद कोर्ट कोई अंतिम निर्देश दे सकता है।

धार्मिक आस्था बनाम सरकारी नियंत्रण?

यह मामला उन कई हालिया विवादों में से एक है जहां सरकारी हस्तक्षेप और पारंपरिक मंदिर प्रबंधन के बीच टकराव देखने को मिल रहा है। इससे पहले भी कई मंदिरों में ऐसे प्रश्न उठे हैं, जिनमें यह बहस सामने आई कि क्या सरकार धार्मिक संस्थानों के प्राचीन ढांचे को बदल सकती है? या फिर उन्हें मूल स्वरूप में छोड़ देना चाहिए?