मनसा देवी भगदड़ के बाद एक्शन में सरकार। सभी प्रमुख मंदिरों में पंजीकरण अनिवार्य
देहरादून। हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की दर्दनाक घटना ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया है।
इस हादसे के में 8 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 30 से अधिक घायल हो गए। अब राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए उत्तराखंड के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिया सख्त संज्ञान
सीएम धामी ने सोमवार, 28 जुलाई को सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक कर अधिकारियों को निर्देशित किया कि अब राज्य के सभी बड़े मंदिरों में भीड़ प्रबंधन, दर्शन के लिए पंजीकरण, पैदल मार्गों और सीढ़ियों का चौड़ीकरण, अतिक्रमण हटाने और अन्य मूलभूत सुविधाएं तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित की जाएं।
इन मंदिरों में होंगी व्यवस्थाएं बेहतर
सरकार ने खास तौर पर जिन धार्मिक स्थलों पर ध्यान केंद्रित किया है, उनमें हरिद्वार के मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर, टनकपुर का पूर्णागिरि धाम, नैनीताल का कैंची धाम, अल्मोड़ा का जागेश्वर धाम और पौड़ी का नीलकंठ महादेव मंदिर शामिल हैं।
कमिश्नर की अध्यक्षता में बनेगी विशेष समिति
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों के आयुक्तों की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित की जाए, जिसमें संबंधित जिलों के डीएम, एसएसपी, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति मंदिर परिसरों के समुचित विकास और सुरक्षा प्रबंधन का खाका तैयार करेगी।
श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य, दर्शन संख्या होगी सीमित
सरकार अब श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन/ऑफलाइन पंजीकरण अनिवार्य करने जा रही है। दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या नियंत्रित की जाएगी, जिससे मंदिर परिसरों में भीड़ न बढ़े और कोई अप्रिय घटना न हो। दुकानों का व्यवस्थित प्रबंधन भी इस योजना का हिस्सा होगा।
क्या हुआ था हादसे में?
27 जुलाई की सुबह हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में करंट फैलने की अफवाह से भगदड़ मच गई थी। अफरा-तफरी में 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिनमें एक बच्चा भी शामिल था।
हादसे में घायल हुए 30 लोगों का इलाज एम्स ऋषिकेश सहित अन्य अस्पतालों में जारी है। घायलों में एक 4 साल की बच्ची भी शामिल है।