उत्तराखंड के स्कूलों की हालत बदतर। 2210 स्कूल जीर्ण-शीर्ण, 3691 में नहीं दीवारें, कई में पानी तक नहीं
देहरादून। “शिक्षा का अधिकार” तो है, लेकिन “सुरक्षित शिक्षा का वातावरण” उत्तराखंड के हज़ारों सरकारी स्कूलों के लिए आज भी सपना बना हुआ है। मानसून के इस मौसम में एक बार फिर पर्वतीय जिलों में स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति सामने आने लगी है। कहीं छतें टपक रही हैं, कहीं दीवारें ढह रही हैं। कुछ मामलों में तो बच्चों के घायल होने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी स्कूल भवनों की सुरक्षा ऑडिट के निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि जर्जर भवनों में किसी भी हाल में बच्चों को न बैठाया जाए और बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
15,873 में से 2210 स्कूल खस्ताहाल, हजारों में नहीं दीवारें और टॉयलेट
शिक्षा विभाग से प्राप्त 2024-25 के आंकड़ों से हालात की भयावहता और अधिक स्पष्ट होती है:-
- उत्तराखंड में कुल सरकारी विद्यालय: 15,873
- इनमें से 2,210 स्कूल पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण हालत में।
- 3,691 स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है।
- 547 स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय नहीं।
- 361 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं।
- 130 स्कूलों में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
वास्तविकता यह है कि जिन बुनियादी सुविधाओं को न्यूनतम आवश्यक माना जाता है, वे भी हज़ारों स्कूलों में नदारद हैं। बावजूद इसके, शासन यह दावा करता रहा है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो रही है।
स्कूल ही नहीं, पुलों की भी कराई जाएगी सुरक्षा जांच
उच्च स्तरीय बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी पुलों की भी सुरक्षा ऑडिट की जाए। जो पुल खस्ताहाल हैं, उनकी मरम्मत और पुनर्निर्माण प्राथमिकता से किया जाए। साथ ही नियमित निगरानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए ताकि किसी दुर्घटना से पहले ही एहतियात लिया जा सके।
वेडिंग डेस्टिनेशन के विकास पर भी जोर
बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य के वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरते स्थलों, जैसे त्रियुगीनारायण के विकास को तेज़ करने के निर्देश दिए। उनका कहना था कि इससे स्थानीय रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए अन्य राज्यों की वेडिंग पॉलिसी का अध्ययन कर उत्तराखंड के लिए भी एक प्रभावी नीति तैयार की जाएगी।