एक्सक्लूसिव: उत्तराखंड वन विभाग में ‘कॉर्बेट-2’, ईको हट्स घोटाले की परतें उधेड़ती रिपोर्ट। आप भी पढ़ें….

उत्तराखंड वन विभाग में ‘कॉर्बेट-2’, ईको हट्स घोटाले की परतें उधेड़ती रिपोर्ट। आप भी पढ़ें….

देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग में निजाम बदलते ही एक और बड़ा घोटाला उजागर हो गया है। यह मामला राज्य के मुनस्यारी क्षेत्र में ईको टूरिज्म के नाम पर बनाए गए ईको हट्स से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये की अनियमितता, नीतिगत उल्लंघन, और राजस्व का निजी संस्थाओं को हस्तांतरण सामने आया है।

इस घोटाले में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय कुमार भार्गव मुख्य आरोपी के रूप में उभरे हैं, जिनका नाम पूर्व में भी विवादों में आ चुका है। शासन ने उन्हें 15 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है। जांच रिपोर्ट में इस पूरे मामले की CBI और ED से जांच कराने की सिफारिश की गई है।

प्रमुख आरोप: घोटाले की परतें

बिना स्वीकृति करोड़ों की संरचनाएं

वर्ष 2019 में मुनस्यारी के आरक्षित वन क्षेत्र में बिना पूर्व अनुमति निम्नलिखित निर्माण कराए गए:

  • डॉरमेट्री
  • वन उत्पाद विक्रय केंद्र
  • 10 वीआईपी ईको हट्स
  • ग्रोथ सेंटर

इन निर्माणों में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा 2 का खुला उल्लंघन हुआ। कोई केंद्रीय स्वीकृति नहीं ली गई।

बिना टेंडर ठेका और भुगतान

  • सार्वजनिक निविदा प्रक्रिया (Tender) को दरकिनार करते हुए एक निजी संस्था को सीधे ठेका दिया गया और एकमुश्त भुगतान किया गया। इससे शासन की वित्तीय पारदर्शिता नीति की धज्जियाँ उड़ाई गईं।

राजस्व का 70% निजी संस्था को

  • डॉ. भार्गव द्वारा EDC पातलथौड़, मुनस्यारी के साथ गोपनीय MoU पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत ईको हट्स से होने वाली आय का 70% हिस्सा निजी संस्था को ट्रांसफर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि यह संस्था एक विधायक से जुड़ी हुई है।

फर्जी फायरलाइन व्यय

  • जहां फायरलाइन की कार्य योजना में केवल 14.6 किमी दर्ज थी, वहाँ 90 किमी दिखाकर 2 लाख रुपये का खर्च दिखाया गया।

एक ही दिन में तैयार की गई Measurement Book

सभी कार्यों की मापन पुस्तिकाएं एक ही दिन में पूरी कर दी गईं, जिससे कार्यों की वास्तविकता पर गंभीर संदेह खड़े होते हैं।

घोटाले का आर्थिक स्वरूप

  • ईको हट्स पर कुल व्यय ₹1.63 करोड़
  • राजस्व का निजी संस्था को स्थानांतरण 70%
  • बिना टेंडर सामग्री खरीद करोड़ों में
  • फर्जी फायरलाइन खर्च ₹2 लाख

IFS संजीव चतुर्वेदी की विस्फोटक रिपोर्ट

इस घोटाले की विस्तृत जांच IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने की। उन्होंने अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच जांच कर 700 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की, जिसे दो चरणों में HoFF को सौंपा गया। मार्च 2025 में यह रिपोर्ट शासन को भेजी गई और मुख्यमंत्री ने जून 2025 में इसे अनुमोदित किया।

रिपोर्ट में की गई सिफारिशें:

  • CBI व ED जांच।
  • PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) के तहत आपराधिक मुकदमा।
  • संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई।

भार्गव का विवादित इतिहास और ‘सियासी संरक्षण’

  • 2015: डॉ. भार्गव नरेंद्रनगर के DFO रहते समय भी फंडिंग घोटाले के आरोप में घिरे, लेकिन “अनुभव की कमी” बताकर क्लीन चिट मिल गई।
  • मलाईदार पोस्टिंग: लगातार प्रभावशाली पदों पर नियुक्ति, राजनैतिक संरक्षण की चर्चाएँ वर्षों से प्रचलित।
  • पारिवारिक संबंध: सूत्रों के मुताबिक भार्गव राज्य सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के दामाद हैं।

फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने भी ईको हट्स में ठहरने की पुष्टि की है, जिससे यह प्रोजेक्ट अधिक सुर्खियों में आ गया।

नियंत्रण से बाहर ऑडिट प्रक्रिया

ईको हट्स की देखरेख कर रही संस्था ने 2020–21 से 2023–24 तक चार वर्षों का ऑडिट एक साथ जैसलमेर की फर्म से कराया, जो मुनस्यारी से हजारों किलोमीटर दूर है। यह चयन भी जांच के दायरे में है।

आगे की राह: क्या होगा अब?

शासन ने डॉ. भार्गव को 18 जुलाई 2025 को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा है। चेतावनी दी गई है कि यदि समय पर संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया तो कठोर अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

क्या यह दूसरा ‘कॉर्बेट’ घोटाला है?

वन विभाग में यह घोटाला कॉर्बेट टाइगर सफारी घोटाले के बाद अब तक की दूसरी सबसे बड़ी अनियमितता मानी जा रही है। विभाग के अंदरूनी सूत्रों ने इसे ‘कॉर्बेट 2’ की संज्ञा दी है।

ईको टूरिज्म या इको-लूट?

ईको टूरिज्म के नाम पर बनाए गए ढाँचे अब ईको भ्रष्टाचार के प्रतीक बनते जा रहे हैं। जिन संरचनाओं को पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय रोजगार के उद्देश्य से खड़ा किया गया था, वे अब संदिग्ध लेन-देन, राजस्व लूट और नीतिगत मनमानी का केंद्र बन गए हैं।