स्कूल की छत गिरने से 7 मासूमों की मौत, 28 घायल। तीन बड़ी लापरवाहियाँ उजागर
झालावाड़ (राजस्थान)। राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी गांव स्थित सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 अन्य बच्चे घायल हो गए हैं। इनमें से 9 की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। हादसे के वक्त कुल 35 बच्चे क्लासरूम में मौजूद थे।
कैसे हुआ हादसा?
प्राथमिक जानकारी के अनुसार, सुबह के समय स्कूल में प्रार्थना के लिए सभी बच्चों को एक ही कमरे में बैठा दिया गया था, क्योंकि बाहर बारिश हो रही थी। कुछ ही देर बाद कमरे की छत भरभरा कर गिर गई, जिससे बच्चे मलबे में दब गए।
स्थानीय ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए बच्चों को मलबे से बाहर निकाला और मनोहरथाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया।
मौके पर ही 5 बच्चों की मौत, 2 ने अस्पताल में तोड़ा दम
मनोहरथाना अस्पताल प्रशासन के अनुसार, 5 बच्चों की मौत मौके पर ही हो गई थी, जबकि इलाज के दौरान दो और बच्चों ने दम तोड़ दिया। कई बच्चे अब भी गंभीर स्थिति में जीवन और मौत से जूझ रहे हैं।
बच्चों की चेतावनी को किया नजरअंदाज
स्कूल की एक छात्रा वर्षा राज क्रांति ने बताया कि छत से पहले छोटे-छोटे कंकड़ गिरने लगे थे, जिसकी जानकारी टीचर्स को दी गई थी। लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया, और कुछ ही मिनटों में पूरी छत गिर पड़ी।
तीन बड़ी लापरवाहियाँ उजागर
- जर्जर भवन की सूचना नहीं दी गई: कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने खुद स्वीकार किया कि स्कूल का नाम जर्जर भवनों की सूची में नहीं था, जबकि शिक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश थे।
- छुट्टी के आदेश को दरकिनार किया गया: हादसे से तीन दिन पहले स्कूल में 10 दिन की छुट्टी घोषित की गई थी, लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया।
- बिल्डिंग में पहले भी दरारें थी, फिर भी बच्चों को उसी में बैठाया गया।
प्रशासन की कार्रवाई
घटना के बाद शिक्षा विभाग ने स्कूल की हेडमास्टर मीना गर्ग समेत 5 शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। इनमें जावेद अहमद, रामविलास लववंशी, कन्हैयालाल सुमन, बद्रीलाल लोधा शामिल हैं।
वहीं, सवाल यह भी उठ रहा है कि हादसे के कुछ ही घंटों बाद स्कूल की पूरी बिल्डिंग को गिरा दिया गया। क्या प्रशासन ने साक्ष्य मिटाने की कोशिश की? इस पर स्थानीय लोगों में रोष है।
अस्पताल के गलियारों में गूंजती रहीं माता-पिता की चीखें
अस्पताल परिसर में मासूम बच्चों के बेहोश शरीर और उन्हें गोद में उठाकर दौड़ते परिजन — विचलित कर देने वाले दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गए। ग्रामीणों और मृत बच्चों के परिजनों ने घटना को सरासर सरकारी लापरवाही करार दिया है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
घटना को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शोक व्यक्त किया है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को सहायता राशि देने की घोषणा की गई है।
सांसद हनुमान बेनीवाल का बड़ा बयान
राज्यसभा में सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “जब तक अफसरों और नेताओं के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे, तब तक इनकी हालत नहीं सुधरेगी।”
हमारा सवाल: क्या ये हादसा रोका नहीं जा सकता था? इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बजट, योजना, और घोषणाएं सिर्फ कागजों में अच्छी लगती हैं, जब तक ज़मीनी स्तर पर ईमानदारी से अमल न हो।