बड़ी खबर: छोटे नगरों का बड़ा कमाल। उत्तराखंड के 27 निकायों की स्वच्छता में छलांग, देहरादून-मुनिकीरेती पिछड़े

छोटे नगरों का बड़ा कमाल। उत्तराखंड के 27 निकायों की स्वच्छता में छलांग, देहरादून-मुनिकीरेती पिछड़े

  • लालकुआं को राष्ट्रपति से मिला पुरस्कार, 27 निकायों की रैंकिंग में ऐतिहासिक सुधार

देहरादून। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जारी स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में उत्तराखंड के छोटे नगरों ने आश्चर्यजनक प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित किया है। राज्य के 107 शहरी निकायों में से 27 की रैंकिंग में सुधार दर्ज किया गया है। खास बात यह रही कि ऋषिकेश के गंगा घाट देश में सबसे स्वच्छ पाए गए हैं।

छोटे नगरों की बड़ी उपलब्धि

जहां बड़े शहर पिछड़ते नजर आए, वहीं लालकुआं, रुद्रपुर, मसूरी, भीमताल, डोईवाला, भवाली, पिथौरागढ़ जैसे छोटे निकायों ने हजारों अंकों की छलांग लगाई।

लालकुआं को ‘उभरते हुए स्वच्छ शहर’ की श्रेणी में राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया। रुद्रपुर ने 349 पायदान का सुधार किया, मसूरी ने 1172, पिथौरागढ़ ने 2434 और भीमताल ने 2857 स्थानों की छलांग लगाई।

बड़े शहर फिसले

  • पिछले वर्ष सम्मान पाने वाले देहरादून और मुनिकीरेती इस बार पिछड़ गए।
  • देहरादून की राष्ट्रीय रैंक में हल्का सुधार तो हुआ, लेकिन राज्य रैंक में 13वें स्थान पर खिसक गया।
  • मुनिकीरेती भी अपनी श्रेणी में 17वें स्थान पर पहुंच गया।

गंगा टाउन में ऋषिकेश नंबर वन

गंगा किनारे बसे शहरों की रैंकिंग में भी उत्तराखंड का प्रदर्शन सराहनीय रहा

  • ऋषिकेश देश में सबसे स्वच्छ गंगा घाट वाला शहर घोषित हुआ।
  • हरिद्वार, मुनिकीरेती, श्रीनगर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ जैसे शहरों को टॉप 50 में स्थान मिला।

कचरा मुक्त शहरों में सुधार

  • देहरादून को इस बार कोई स्टार नहीं मिला, जबकि पिछले वर्ष उसे 3 स्टार प्राप्त थे।
  • लालकुआं, रुद्रपुर, डोईवाला और विकासनगर को 1 स्टार मिले हैं।

छावनी परिषदों में लैंसडौन अव्वल

उत्तराखंड के नौ छावनी परिषदों में लैंसडौन को राष्ट्रीय स्तर पर 17वां स्थान, रानीखेत को 18वां और रुड़की को 22वां स्थान मिला है।

उत्तराखंड के टॉप-5 स्वच्छ शहर (2024)

स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 ने साफ कर दिया है कि जनसहयोग, स्थानीय नेतृत्व और प्रतिबद्धता हो तो छोटे शहर भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी छाप छोड़ सकते हैं।
अब वक्त है कि देहरादून, हरिद्वार, रुड़की जैसे बड़े शहर भी इस नई चेतना से सबक लें।