बिग ब्रेकिंग: नामांकन निरस्त पर हाईकोर्ट से राहत। नेहा गौतम को पंचायत चुनाव में लड़ने की अनुमति

नामांकन निरस्त पर हाईकोर्ट से राहत। नेहा गौतम को पंचायत चुनाव में लड़ने की अनुमति

नैनीताल/काशीपुर। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नामांकन निरस्त किए जाने के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। न्यायालय ने नेहा गौतम नाम की याचिकाकर्ता को चुनाव में प्रतिभाग करने की अनुमति देते हुए, निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायिक मूल्यों की पुनः पुष्टि की है।

मुख्य न्यायाधीश श्री जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

काशीपुर के फिरोजपुर मानपुर की निवासी नेहा गौतम ने पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद हेतु नामांकन दाखिल किया था, जिसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि उनकी माता वन विभाग की भूमि पर अवैध कब्जाधारी हैं और नेहा का आना-जाना वहां लगा रहता है।

नेहा गौतम की दलीलें

याचिका दायर करते हुए नेहा ने न्यायालय को बताया कि वह विवाहित हैं और अपने ससुराल में निवास करती हैं, न कि उस भूमि पर जहाँ उनकी माता निवास करती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी माता को कभी भी वन विभाग द्वारा कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही उनके विरुद्ध कोई विधिक कार्रवाई लंबित है।

न्यायालय का निर्णय

सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने माना कि सिर्फ इस आधार पर कि याची अपनी माँ से मिलने जाती हैं, नामांकन निरस्त करना उचित नहीं है। कोर्ट ने नेहा गौतम को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी।

साथ ही, खंडपीठ ने इस तरह के अन्य मामलों को ध्यान में रखते हुए यह भी निर्देश दिए कि नामांकन निरस्तीकरण के मामलों में ‘नो ड्यूज’, अतिक्रमण या अन्य आपराधिक मुद्दों’ को बिना ठोस प्रमाण के आधार नहीं बनाया जा सकता। ऐसे सभी मामलों की निष्पक्ष पुन: समीक्षा कर उचित निर्णय लिए जाएं।