एक बार फिर सवालों के घेरे में ‘जल जीवन मिशन’, घोटाले की आशंका पर ED की पैनी नजर
देहरादून। उत्तराखंड में केंद्र सरकार की बहुप्रचारित योजना जल जीवन मिशन एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर नल से जल पहुंचाने की मंशा को जहां जमीन पर उतारने की बात कही गई थी।
वहीं अब इसमें करोड़ों के घोटाले की बू आने लगी है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सक्रियता दिखाते हुए कई अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत नोटिस जारी किए हैं।
जल जीवन मिशन में गड़बड़झाले के चलते केंद्र सरकार से पैसा जारी नहीं किया जा रहा है। वहीं उत्तराखंड में जल जीवन मिशन के कार्य करने वाले ठेकेदारों को भी पेयजल निगम भुगतान नहीं कर पा रहा है।
ईडी की कार्रवाई ने पेयजल निगम के भीतर हड़कंप मचा दिया है। सूत्रों के अनुसार, जांच के दायरे में पेयजल निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक, वर्तमान मुख्य अभियंता समेत कई पूर्व एवं वर्तमान अधिकारी हैं।
शासन के अधिकारी भी देर सबेर रडार पर लिए जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के लिए भेजी गई भारी भरकम राशि का दुरुपयोग किया गया और रकम को अन्यत्र ठिकाने लगा दिया गया।
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब केंद्र को विभिन्न राज्यों से योजना में अनियमितताओं की शिकायतें मिलीं। उत्तराखंड भी इस लपेटे में आ गया है। निर्माण कार्यों में लापरवाही, गुणवत्ताहीन सामग्री का इस्तेमाल, समय सीमा का उल्लंघन और फर्जी भुगतान जैसी गंभीर गड़बड़ियों की पुष्टि होने पर जांच एजेंसियां हरकत में आ गईं।
पेयजल निगम में लंबे समय से गुटबाजी, अंदरूनी राजनीति और भ्रष्टाचार की बातें सामने आती रही हैं। लेकिन अब जब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की है, तो अधिकारियों में अफरातफरी का माहौल है।
बताया जा रहा है कि एक आलूवालिया नामक व्यक्ति भ्रष्ट अधिकारियों से सांठ-गांठ कर यहां से मोटी रकम लेकर फरार हो चुका है और उसी ने कई अहम दस्तावेज ईडी को सौंपे हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उत्तराखंड सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर जांच बैठाएंगे? क्या राज्य सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करेगी या फिर यह प्रकरण भी फाइलों में दब कर रह जाएगा?
फिलहाल जल जीवन मिशन की साख को बड़ा झटका लगा है और यदि ईडी की जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है, तो यह राज्य के प्रशासनिक तंत्र के लिए एक और बड़ी साख की चोट होगी।