बड़ी खबर: महिला सरकारी कर्मचारी ने अपना जेंडर बदलवाकर पुरुष बनने की सरकार से मांगी अनुमति

महिला सरकारी कर्मचारी ने अपना जेंडर बदलवाकर पुरुष बनने की सरकार से मांगी अनुमति

देहरादून। जेंडर बदलने की नियमावली का पहला मामला उत्तराखंड में सामने आया है, जहां एक महिला सरकारी कर्मचारी ने अपना जेंडर बदलवाकर पुरुष बनने की अनुमति सरकार से मांगी है।

यह प्रकरण न केवल प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि इससे जुड़े सामाजिक और मानसिक पहलुओं को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, उक्त महिला उत्तराखंड सरकार के एक विभाग में नियमित रूप से सेवाएं दे रही है। उसने विधिवत प्रक्रिया के तहत शासन को एक आवेदन पत्र सौंपा है, जिसमें उसने खुद को महिला की पहचान से मुक्त कर पुरुष के रूप में पहचान दिलाने की गुहार लगाई है।

आश्चर्यजनक रूप से इस आवेदन को सरकारी स्तर पर गंभीरता से लिया गया है और आवश्यक प्रक्रियाएं भी शुरू कर दी गई हैं।

बताया जा रहा है कि, आवेदन के साथ महिला ने आवश्यक मेडिकल रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय भी संलग्न की है। हालांकि अभी तक इस निर्णय के पीछे के व्यक्तिगत कारणों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

आवेदन में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह निर्णय मानसिक, सामाजिक या शारीरिक कारणों से लिया गया है। बावजूद इसके, महिला मुलाजिम के इस साहसी कदम ने उत्तराखंड के प्रशासनिक तंत्र में बहस को जन्म दे दिया है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह राज्य सरकार के सामने अपने आप में पहला ऐसा मामला है, जिसमें किसी महिला सरकारी कर्मचारी ने खुद की पहचान बदलने का आधिकारिक निवेदन किया हो। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उच्च स्तर पर निर्णय लिया जा रहा है और विशेषज्ञों की राय ली जा रही है।

वर्तमान में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लेकर बनाए गए नियमों और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों के बाद भारत में किसी भी व्यक्ति को अपने जेंडर की पहचान चुनने का संवैधानिक अधिकार है।

लेकिन सरकारी सेवा में कार्यरत किसी महिला का इस प्रकार का कदम प्रशासन के लिए नई चुनौती भी है – जैसे कि सेवा रजिस्टर में बदलाव, पहचान दस्तावेजों का संशोधन और भविष्य की नियुक्ति/पदोन्नति प्रक्रिया में उसका प्रभाव।

फिलहाल यह मामला चर्चाओं में बना हुआ है और विभागीय अधिकारी इससे जुड़े सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच कर रहे हैं।

महिला मुलाजिम का यह निर्णय जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पहचान की भावना को दर्शाता है, वहीं यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या हमारा सिस्टम ऐसे बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार है?