विशेष रिपोर्ट: भाजपा में बड़े बदलाव की तैयारी। क्या पहली बार किसी महिला को मिलेगी भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी

भाजपा में बड़े बदलाव की तैयारी। क्या पहली बार किसी महिला को मिलेगी भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) में इन दिनों एक अहम और संभावित ऐतिहासिक बदलाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा?

इस सवाल पर अभी आधिकारिक घोषणा भले ही न हुई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में हलचल और सूत्रों की मानें तो पार्टी पहली बार एक महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है।

यदि ऐसा होता है, तो यह न केवल संगठनात्मक संतुलन का प्रतीक होगा, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी माना जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच इस विषय पर गंभीर विचार-विमर्श चल रहा है, जिसमें तीन प्रमुख महिला नेताओं के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वनथी श्रीनिवासन।

इन तीनों नेताओं की अपनी विशिष्ट पहचान, अनुभव और राजनीतिक कद है, जो उन्हें इस प्रतिष्ठित पद की दौड़ में प्रबल दावेदार बनाते हैं। आइए एक-एक कर इन तीनों चेहरों को करीब से समझते हैं।

1. निर्मला सीतारमण: अनुभव और रणनीतिक गहराई की प्रतीक

निर्मला सीतारमण न केवल केंद्र सरकार में देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, बल्कि उन्होंने रक्षा मंत्रालय जैसे अहम विभाग का नेतृत्व भी सफलतापूर्वक किया है। पार्टी के भीतर उनके संगठनात्मक अनुभव और कार्यक्षमता को उच्च सम्मान प्राप्त है।

हाल ही में उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की, जिसे इस दौड़ में उनकी अग्रणी स्थिति का संकेत माना जा रहा है। उनकी संभावित नियुक्ति से बीजेपी को कई रणनीतिक लाभ हो सकते हैं — खासतौर पर दक्षिण भारत में पार्टी की स्थिति को मजबूती मिल सकती है।

वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल ने उन्हें एक दृढ़ प्रशासक के रूप में स्थापित किया है। इसके अलावा, उनकी नियुक्ति मोदी सरकार के महिला सशक्तिकरण के एजेंडे को भी एक नई दिशा दे सकती है।

2. डी. पुरंदेश्वरी: बहुभाषी वक्ता और दक्षिण भारत की दमदार आवाज

डी. पुरंदेश्वरी का नाम आंध्र प्रदेश और दक्षिण भारतीय राजनीति में अच्छी खासी पकड़ रखता है। पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुकीं और वर्तमान में आंध्र प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष रह चुकीं पुरंदेश्वरी को एक प्रभावशाली वक्ता और तेज़-तर्रार राजनेता के रूप में जाना जाता है।

उनकी भाषाओं पर पकड़ (तेलुगु, तमिल, हिंदी, अंग्रेज़ी, फ्रेंच) उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में और प्रभावशाली बनाती है। वह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और पाकिस्तान के खिलाफ देश की विदेश नीति की धार को उजागर करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।

दक्षिण भारत में बीजेपी का आधार मजबूत करने के लिहाज से उनकी नियुक्ति एक बड़ा दांव साबित हो सकती है।

वनथी श्रीनिवासन: संगठनात्मक मजबूती और महिला सशक्तिकरण की नई पहचान

वनथी श्रीनिवासन वकील से राजनेता बनीं एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने संगठनात्मक ढांचे में ज़मीनी स्तर से ऊपर तक का सफर तय किया है। तमिलनाडु बीजेपी की विधायक और 2020 से महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल प्रशंसनीय रहा है।

उन्होंने तमिलनाडु बीजेपी में सचिव, महासचिव और उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर कार्य किया है। उन्हें 2022 में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य भी बनाया गया, जो अपने आप में उनकी संगठन के भीतर बढ़ती ताकत को दर्शाता है।

उनकी नियुक्ति महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ तमिलनाडु जैसे चुनौतीपूर्ण राज्य में पार्टी की रणनीति को धार देने में मदद कर सकती है।

क्या RSS भी तैयार है महिला नेतृत्व के लिए?

भारतीय जनता पार्टी के साथ संगठनात्मक रूप से जुड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के रुख को इस पूरे परिदृश्य में काफी अहम माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि संघ भी इस विषय पर सकारात्मक है और मानता है कि महिला नेतृत्व का न केवल प्रतीकात्मक, बल्कि रणनीतिक प्रभाव भी पड़ेगा।

बीजेपी ने हाल के वर्षों में महिला मतदाताओं को ध्यान में रखकर कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं। उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, शौचालय निर्माण अभियान जैसे कार्यक्रमों ने महिला वोट बैंक को सशक्त किया है। ऐसे में यदि एक महिला को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है, तो यह महिला मतदाताओं में भरोसे और समर्थन को और बढ़ा सकता है।

भाजपा में अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन परिस्थितियों और संकेतों से स्पष्ट है कि पार्टी एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है।

यदि किसी महिला नेता को यह जिम्मेदारी दी जाती है, तो यह एक ऐतिहासिक निर्णय होगा — न केवल पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन के लिहाज से, बल्कि यह देश की राजनीति में महिला नेतृत्व के प्रति बदलती सोच का भी प्रतीक होगा।

अब देखना यह है कि क्या बीजेपी इस ऐतिहासिक मोड़ पर कदम रखती है और पहली बार देश की सबसे बड़ी पार्टी को एक महिला अध्यक्ष के हाथों सौंपती है और यदि हां, तो वह चेहरा कौन होगा: सीतारमण, पुरंदेश्वरी या श्रीनिवासन?