गजब वीडियो: भाजपा के दर्जाधारी मंत्री जी ने पड़ोसियों का ही कटवा दिया चालान, देखें वीडियो….

भाजपा के दर्जाधारी मंत्री जी ने पड़ोसियों का ही कटवा दिया चालान, देखें वीडियो….

देहरादून। इसे सत्ता की हनक ही कहा जाएगा कि जिन महानुभाव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जुम्मा-जुम्मा कुछ दिन पहले दायित्व बांटा है, वह अपने पड़ोसियों को ही धौंस दिखाने लगे हैं।

घर की गली के बाहर खुद को राज्य मंत्री बताते हुए बोर्ड लगा रखा है और जब यहीं के लोग कालोनी की साझा सड़क किनारे वाहन खड़े कर रहे हैं, तो उनके चालान करवाए जा रहे हैं।

देखें वीडियो:-

चालान से खिन्न एक व्यक्ति ने रोष प्रकट करते हुए मोथरोवाला रोड (मुख्य सड़क) पर खड़े वाहनों को छोड़कर कालोनी में चालान काटने के प्रकरण की धरातलीय स्थिति का वीडियो भी बनाया है। इसी वीडियो में दिख रहा है कि कथित राज्य मंत्री का बोर्ड सड़क की जगह पर अतिक्रमण कर लगाया गया है।

पड़ोसियों को धौंस दिखाने का मामला मोथरोवाला रोड पर रेणुका विहार का है। हाल में राज्य औषधीय पादप बोर्ड के उपाध्यक्ष बनाए गए प्रताप सिंह पंवार कालोनी की गली के आखिरी छोर पर रहते हैं।

इलाके में उनका रुआब कायम रहे, इसके लिए उन्होंने गली के आरंभ वाले भाग पर अपने नाम का बोर्ड भी लगा रखा है। जिस पर वह अपना पद राज्य मंत्री बता रहे हैं। हालांकि, राज्य मंत्री जैसी कोई चीज अब दायित्वधारियों में नहीं रही। वह सीधे रूप से संबंधित बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं।

खैर, यहां तक भी बात हजम हो जाती, लेकिन बोर्ड के उपाध्यक्ष पंवार को यह भी नागवार गुजरा कि कालोनी की साझा सड़क पर पड़ोसी अपने वाहन कैसे खड़े कर रहे हैं। लिहाजा, उन्होंने यातायात पुलिस से शिकायत कर दी।

यातायात पुलिस ने भी अति सक्रियता दिखाई और घुस गए कालोनी की सड़क किनारे खड़े वाहनों का चालान करने। पुलिस ने यहां 05 या 06 वाहनों के चालान कर दिए।

सवाल यातायात पुलिस से भी है। क्या वह बता सकती है कि इससे पहले उसने कितनी बार किसी कालोनी के भीतर जाकर सड़क किनारे खड़े वाहनों के चालान किए हैं।

दूसरी तरफ खुद को राज्य मंत्री बताने वाले महाशय के एक कार्यकर्ता ने हाल में ही किसी बैंक में जाकर भी धौंस दिखाई। वह उपाध्यक्ष का एक चेक लेकर बैंक में पहुंचे थे और उसे कैश करवाने के लिए कहा कि मंत्री पंवार जी ने भेजा है।

जब बैंक कार्मिक ने उल्टा सवाल किया कि पंवार तो कोई मंत्री उत्तराखंड सरकार में हैं ही नहीं तो कार्यकर्ता बड़ा सा मुहं बनाकर कार्मिक पर ही रौब गालिब करने लगे। संभव है कि तमाम दायित्वधारी इसी तरह खुद को राज्य मंत्री कहलवाकर धौंस जमा रहे होंगे।

यह तो रही दायित्वधारियों के अधिकार जमाने की बात। क्या किसी व्यक्ति ने कभी यह सुना है कि फलां दर्जाधारी या दायित्वधारी ने अपने पद के अनुरूप जनहित में कोई बड़ा काम किया हो।