DBUU पिनाक 2025′ की रंगारंग शुरुआत। पहले ही दिन छाया सांस्कृतिक उत्साह और ग्लैमर
- शंकर महादेवन और देव नेगी की प्रस्तुति को लेकर छात्रों में उत्साह
देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के भव्य प्रांगण में आज ‘पिनाक 2025’ सांस्कृतिक महोत्सव की भव्य शुरुआत हुई। चार दिवसीय इस महोत्सव के पहले दिन ही रंग, रचनात्मकता और रौशनियों से सजा परिसर एक सांस्कृतिक पर्व का प्रतीक बन गया। छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक परिधानों में अपनी सांस्कृतिक पहचान और रचनात्मक ऊर्जा का मनमोहक प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय परंपरा अनुसार दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसने वातावरण को आध्यात्मिक आभा से भर दिया। इसके पश्चात विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत संगीत, नृत्य और नाट्य कार्यक्रमों ने मंच को जीवंत कर दिया। उनकी प्रस्तुतियों में सिर्फ कला ही नहीं, भावनाएं और संस्कृति भी छलकती नज़र आईं।
शाम का सबसे बहुप्रतीक्षित और रोमांचकारी आयोजन रहा ‘मिस्टर एंड मिस पिनाक 2025’ प्रतियोगिता, जहां छात्र-छात्राओं ने आत्मविश्वास, स्टाइल और व्यक्तित्व का ऐसा प्रदर्शन किया जिसने दर्शकों को तालियों से गूंजने पर मजबूर कर दिया। रैम्प वॉक के दौरान नज़र आने वाला उत्साह इस बात का संकेत था कि यह मंच केवल सौंदर्य या प्रदर्शन का नहीं, बल्कि आत्म-सशक्तिकरण का भी माध्यम है।
इस भव्य आयोजन की गरिमा को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय के माननीय अध्यक्ष श्री संजय बंसल, उपाध्यक्ष श्री अमन बंसल, सहायक उपाध्यक्ष श्रीमती नैंसी बंसल, कुलपति डॉ. आर. के. त्रिपाठी, कार्यक्रम संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह एवं कई गणमान्य लोग मंच पर उपस्थित रहे। अध्यक्ष श्री संजय बंसल ने अपने संबोधन में कहा, “हमारा उद्देश्य केवल अकादमिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, हम अपने छात्रों को मंच, आत्मविश्वास और संस्कृति का अनुभव देना चाहते हैं, ताकि वे जीवन के हर क्षेत्र में अग्रणी बन सकें।”
पहले दिन की अभूतपूर्व सफलता के बाद अब सभी की निगाहें टिकी हैं 21 मई को होने वाली पद्मश्री शंकर महादेवन की शानदार प्रस्तुति पर, जो संगीत प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक शाम लेकर आएंगे। वहीं 22 मई को उत्तराखंड के प्रसिद्ध युवा गायक देव नेगी अपनी ऊर्जावान प्रस्तुति से महोत्सव के समापन को अविस्मरणीय बना देंगे।
‘पिनाक 2025’ अब केवल एक सांस्कृतिक महोत्सव नहीं, बल्कि छात्रों के आत्म-विकास, सांस्कृतिक जागरूकता और प्रेरणा का महाअवसर बन चुका है। देहरादून का यह विश्वविद्यालय आने वाले दिनों में रचनात्मकता और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बनने जा रहा है।