बिग ब्रेकिंग: श्रद्धालुओं के लिए खुले विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट

श्रद्धालुओं के लिए खुले विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट

उत्तराखंड। बदरीनाथ धाम के कपाट आज प्रातः ठीक 6 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। यह शुभ अवसर रवि पुष्य योग में संपन्न हुआ, जिसे हिंदू पंचांग में अत्यंत शुभ माना जाता है। जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, पूरा धाम “जय बदरी विशाल” के गगनभेदी नारों से गूंज उठा और वातावरण भक्तिमय हो गया।

कपाटोद्घाटन के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई । कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई, जिससे वहां उपस्थित हजारों भक्तों की आंखें श्रद्धा से नम हो गईं।

यह दृश्य अत्यंत मनोहारी था और श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय बन गया। धाम में दर्शन को हजारों की संख्या में भक्त मौजूद। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, धाम में 10,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की पूजा-अर्चना
कपाट खुलने के इस पावन अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं बदरीनाथ धाम पहुंचे।

उन्होंने भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर विधिवत पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से मुलाकात कर व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया और सुचारु दर्शन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “आज का दिन बहुत ही शुभ है, मैं उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी की यात्रा सुखद हो।

सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं, चारधाम यात्रा थोड़ी कठिन है लेकिन उसके बावजूद भी प्रयास किए गए हैं कि यात्रा में कम से कम कठिनाई हो और यात्रा सुरक्षित हो, इसके लिए सभी विभागों की समीक्षा की गई है और आगे भी समीक्षा की जा रही है…”

40 कुंतल गेंदे के फूलों से सजा मंदिर परिसर

कपाटोद्घाटन समारोह को भव्य रूप देने के लिए बदरीनाथ मंदिर को 40 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया। मंदिर के मुख्य द्वार, शिखर, मंडप और आसपास के परिसर को गेंदे के पीले-नारंगी फूलों से अत्यंत सुंदर ढंग से सजाया गया है।

सुरक्षा और सुविधाएं चाक-चौबंद

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पुलिस, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर तैनात हैं। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े इसके लिए चिकित्सा सहायता, भोजन-पानी, शौचालय, विश्राम स्थल जैसी व्यवस्थाएं चाक चौबंद हैं।