उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड का गड़बड़झाला कैग की रिपोर्ट ने खोला डाला। पढ़ें….
देहरादून। उत्तराखंड कर्मकार बोर्ड में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने इस घोटाले की पोल खोल दी है।
2018 से 2022 के बीच बोर्ड ने करोड़ों रुपये की साइकिल, टूलकिट और कंबल खरीदे, लेकिन ये सामान या तो अपात्र लोगों को बांट दिए गए या फिर गायब हो गए।
बोर्ड ने 32.78 करोड़ रुपये की 83,560 साइकिलें एक आईटी कंपनी से खरीदीं, जबकि यह कंपनी केवल आईटी सेवाओं के लिए सूचीबद्ध थी। देहरादून जिले में 37,665 साइकिलें वितरित करने के लिए भेजी गईं, लेकिन केवल 6,020 ही प्राप्त हुईं। बाकी 31,645 साइकिलों का कोई अता-पता नहीं है।
कंबल वितरण में धांधली
ऊधमसिंह नगर जिले में 216 श्रमिकों को दो बार, 28 लाभार्थियों को तीन बार और छह लाभार्थियों को चार बार साइकिलें बांटी गईं। इसके अलावा, मंत्रालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए बोर्ड ने 20,053 कंबल भी बांटे।
टूलकिट गायब
बोर्ड ने 33.23 करोड़ रुपये की टूलकिट भी एक अन्य आईटी कंपनी से खरीदीं। देहरादून में 22,426 टूलकिट वितरित करने के लिए भेजी गईं, लेकिन केवल 171 ही वितरित की गईं। शेष 22,255 टूलकिटों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
भवन योजनाओं में भ्रष्टाचार
बोर्ड ने 15,381 भवन योजनाओं से 13.04 करोड़ रुपये कम उपकर वसूला। निर्माण कार्यों का पंजीकरण नहीं किया गया, जिससे बोर्ड को 88.27 लाख रुपये की हानि हुई।
श्रमिकों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं
कार्यस्थलों पर श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को लागू करने में भी बोर्ड पूरी तरह विफल रहा।
कैग रिपोर्ट ने उजागर किया घोटाला
कैग की रिपोर्ट ने उत्तराखंड कर्मकार बोर्ड की वित्तीय अनियमितताओं को उजागर कर दिया है। टूलकिट, साइकिल और राशन किट जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों की खरीदी में अपारदर्शिता बरती गई और पंजीकृत लाभार्थियों के बजाय अपात्र व्यक्तियों को लाभ दिया गया।
सरकार को कड़ी कार्रवाई की जरूरत
इस मामले में सरकार को सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके।