दून में ED की छापेमारी, क्रिप्टो फ्रॉड से संबंधित मिले कई अहम सबूत
देहरादून। क्रिप्टो करेंसी की फर्जी एप्लिकेशन तैयार कर देशभर में करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले मास्टर माइंड नरेश गुलिया पर दून में भी शिकंजा कसा गया है। ईडी देहरादून की टीम ने नरेश के सहस्रधारा रोड पर पनाष वैली के पास स्थित आवास पर छापा मारा।
हालांकि, इस दौरान गुलिया ईडी के हत्थे नहीं चढ़ पाया। लेकिन, छापेमारी में ईडी को क्रिप्टो फ्रॉड और उससे अर्जित आय के तमाम प्रमाण मिले हैं। कुछ बैंक खातों की जानकारी भी ईडी को मिली, जिनमें जमा करीब डेढ़ करोड़ रुपये फ्रीज करा दिए गए हैं।
ईडी सूत्रों के मुताबिक नरेश गुलिया का घर करीब 400 गज में बना है। जिसकी बिक्री पर रोक लगाने के लिए सब रजिस्ट्रार को पत्र भेजा जा रहा है। इसके बाद भवन और संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई की जाएगी।
ईडी के मुताबिक नरेश गुलिया का यह घोटाला इमोलिएंट कॉइन के नाम से जाना जाता है। जिसके तहत मै. द इमोलिएंट कॉइन लि. नाम से कंपनी बनाई गई और एक एप तैयार कर क्रिप्टो में निवेश कर 10 माह में रकम दोगुनी करने का झांसा दिया गया।
मुख्य रूप से गुलिया ने लद्दाख, जम्मू कश्मीर और हरियाणा के लोगों के साथ ठगी की है। लोगों की खून-पसीने के 16.81 करोड़ रुपये से अधिक हड़प लिए गए।
इस मामले में लद्दाख पुलिस की ओर से गुलिया के सहयोगी अतीउल रहमान मीर (लेह निवासी) और अजय कुमार उर्फ अजय कुमार चौधरी (जम्मू निवासी) पर वर्ष 2020 में एफआइआर दर्ज की थी। जिसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
ईडी की ताजा कार्रवाई हरियाणा, नई दिल्ली और जम्मू में भी की गई। जिसमें आरोपियों की करीब 06 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है। इससे पहले ईडी फर्जी क्रिप्टो करेंसी का संचालन करने वालों के ठिकानों पर अगस्त 2024 में छापा मार चुकी है।
तब ईडी ने 01 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी। ईडी सूत्रों के मुताबिक जांच अभी गतिमान है और कब्जे में लिए गए दस्तावेजों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
2019 में एप ठप, 2021 में कंपनी भी बंद
ईडी अधिकारियों के अनुसार नरेश गुलिया ने क्रिप्टो फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए इमोलिएंट कॉइन के साथ ही टेक कॉइन लि. नामक कंपनी पंजीकृत कराई।
दोनों को 90 पाल स्ट्रीट, ओल्ड स्ट्रीट शोरेडीच लंदन (यूके) में पंजीकृत किया गया। जिन लोगों ने गुलिया की स्कीम में पैसा लगाया था, उसका लॉकइन पीरियड सितंबर 2019 में पूरा हो रहा था।
लेकिन, इससे पहले ही गुलिया ने जानबूझकर नकली सिक्के (फर्जी कॉइन) का मूल्य गिरा दिया। फिर अक्टूबर-नवंबर में एप ने काम करना बंद कर दिया। 12 जनवरी 2021 से कंपनी का संचालन भी बंद करा दिया गया।