एक्सक्लूसिव: उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय में घालमेल, फेल छात्र हुआ पास और कई को आस

उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय में घालमेल, फेल छात्र हुआ पास और कई को आस

देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध विश्विद्यालय में एक और नया कारनामा सामने आया है। जी हां, जिस छात्र की पहले से ही कई सब्जेक्ट्स में बैक चल रही थी उस छात्र को विश्विद्यालय ने अपने ERP पोर्टल से डिग्री देकर पास कर दिया। जब यह बात अन्य छात्रों को पता चली तो वह भी डिग्री की लालच में विश्विद्यालय के चक्कर काटने।

इस पूरे प्रकरण का खुलासा तब हुआ जब एक छात्र ने विश्विद्यालय के इस पूरे कारनामे की शिकायत लिखित तौर पर शासन में कर दी।

पढ़िए छात्र ने शासन को पत्र में क्या लिखा

छात्र ने पत्र में लिखा कि, माधौ सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रोद्योगिक विश्विद्यालय में फेल छात्रों को डिग्री तथा यू०एम०एस० ईआरपी र्पोर्टल से फर्जी तरीके से पास करने के सम्बन्ध में शिकायत।

प्रार्थी दून बिजनेस स्कुल देहरादून का भूतपूर्व छात्र है महोदय मेरे एक साथी को परीक्षा में फेल होने के बावजूद विश्वविद्यालय के ई०आर०पी / यूएमएस पोर्टल ने डिग्री प्रदान कर दी गयी है। फेल मार्कसीट एवं डिग्री की छायाप्रति जांच हेतु सलंग्न है।

मैंने जब अपनी मार्कशीट रिजल्ट को अपडेट कराने के लिए विश्वविद्यालय के 06 परीक्षा कार्यालय में सम्पर्क किया तो उन्होनें कहा कि सब कुछ अब यू०एम०एस० पोर्टल वाले करते है। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का कोई भी रोल नहीं है।

उसके बाद जब में यू.एस.एम पोर्टल के ग्राउण्ड फ्लोर कार्यालय में गया वहां पर एक लड़के ने कहा कि सब कुछ आशीष सर देखते है और वह वी०सी सर औंकार सिहं के खास हैं। क्योंकि वीसी ओंकार सिहं उन्हें लखनऊ से अपने साथ लाये हैं।

मैने कहा वह मेरी मार्कसीट में पास कर दे देगें। क्योंकि मेरे दो तीन दोस्त को पास की मार्कसीट दे चुके उन्होंने कहा इस सम्बन्ध में आशीष से बात करना।

सर यह भी बताना है कि, मैनें दो घण्टे तक आशीष सर का इन्तजार किया तो वह जब आये तो उन्होंने कहा कि, वीसी सर की मीटिंग थी वहाँ था। मैने उनसे अपने बारे में बात की तो उन्होंने कहा मैं ऐसा नही कर सकता, मेरे काफी रिक्वेष्ट करने पर उन्होंने कहा मैं सुनील सर से बात करूंगा, जोकि विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी एवं ओएसडी हैं और वह सीधे वीसी ओंकार सिहं सर को रिपोर्ट करते हैं।

सर दो दिन बात मैं फिर विश्वविद्यालय गया तो वही आशीष सर फिर नहीं मिले काफी इंतजार के बाद मिले, मैने वही रिक्वेस्ट की तो उन्होनें कहा मैने सुनील सर से कह रखा है वह अगर हाँ कहेगें तो फिर काम हो जायेगा।

पहले भी शासन में पहुंची कई शिकायतें, पढ़ें….

वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में अष्टम दीक्षांत समारोह में धनबलि, भ्रष्टाचार एवं विश्वविद्यालय कोष के दुरुपयोग की शिकायत।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि वीर माधी सिंह मडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में अष्टम दीक्षांत समारोह के आयोजन में धनबलि भ्रष्टाचार एवं विश्वविद्यालय के कोष के दुरुपयोग की गंभीर घटनाएं प्रकाश में आई है।

दिनांक 25 नवंबर 2024 को विश्वविद्यालय द्वारा कार्यालय ज्ञाप संख्या Ref. No-2700/VMSBUTU/2024 के तहत दीक्षांत समारोह से सबंधित मुख्य समिति और अन्य समितियों का गठन किया गया था। छायाप्रति सलग्न।

ज्ञापन में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इन समितियों का कार्य केवल दीक्षांत समारोह की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करना है। किंतु वास्तविकता इसके विपरीत है। इन्ही समितियों के माध्यम से संबंधित कार्यों की फाइलें चलाई जा रही है और बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया के खरीद-फरोख्त की जा रही है।

उत्तराखंड प्रख्यापित्त नियमावली. जुलाई 2017 के नियम 34 के तहत क्रय समिति के माध्यम से सामग्री का क्रय किया जाना चाहिए, लेकिन इस नियम का पालन नहीं किया गया है।

यह आयंत चिंताजनक है कि लाखों के बाजार सर्वेक्षण की समिति में उपनल आउट सोर्स से तृतीय श्रेणी, ड्राइवर चतुर्थ श्रेणी जैसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को सदस्यता दी गई है।

यह न केवल नियमों का उल्लघन है, बल्कि विश्वविद्यालय की छवि को भी धूमिल करता है। यह केवल उदाहरण है विश्वविद्यालय में ऐसी कई समितियां बनाई जाती है। जिसमे उपनल आउट सोर्स से कार्यरत कर्मचारियों को सदस्यता दी जाती है जिन्हें डरा धमका कर भ्रष्टाचार कराया जाता है।

इसके अतिरिक्त एक स्टॉफ ऑफिसर और एक अनियंनित शिक्षक है. उन्हें महत्वपूर्ण कार्य सौंपे गए है और वे भ्रष्टाचार के कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रहे है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से सिन्हयवस्थित और नियमों के खिलाफ है।

यह अत्यंत गंभीर है कि इस भ्रष्टाचार ने विश्वविद्यालय को पूरी तरह से प्रभावित किया है. और इसके कारण विश्वविद्यालय के कार्यों में गभीर विध्न उत्पन्न हो रहे विभही।

विश्वविद्यालय की इस भ्रष्टाचार रूपी राक्षस से बचाने की सख्त आवश्यकता है। किन नियमों के स तहत स्टॉफ ऑफिसर विश्वविद्यालय में बना है और भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा है। ये भी सोचने का विषय है।

इसके अतिरिक्त STATEMENT OF MARKS 2018-19 में यह भी प्रकाश में आया है कि पाठ्यक्रम Master of Business Administration (Integrated) छात्र का नामः अश्विन एडेचेरी, पिता का नास कोचुगोविन्दन केपी नायर संस्थान का नाम दून बिजनेस स्कूल देहरादून नामांकन संख्या 180361400006 रोल नंबर 180361400006 उका छात्र पहले वर्ष में असफल (Fail) था।

परंतु विश्वविद्यालय के कुलपति एवं यू०एम०एस० नोडल अधिकारी द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए इस छात्र को पास (Pass) कर डिग्री प्रदान कर दी गई। छायाप्रति संलग्न।

यह केवल एक उदाहरण है। ऐसे कई छात्र है जो असफल होने के बावजूद, विश्वविद्यालय के भ्रष्ट तंत्र के माध्यम से पीस कर दिए जाते हैं। बदले में में इन छात्रों से मोटी धनराशि वसूली जाती है।

आपने निवेदन है कि इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जाच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सनकी जाए। साथ ही समिति के सभी सदस्यों के पद की जाच की जाए और भविष्य में इस प्रकार के भ्रष्टाचार और विश्वविद्यालय कोष के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी किए जाए।

गौरतलब है कि, पूरे उत्तराखंड में उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय से अफ्फिलटेड कई छोटे बड़े कॉलेज है। सूत्रों के अनुसार हर एक कॉलेज की कई-कई शिकायतें आज भी विश्विद्यालय में लंबित है, जिस ओर वाइस चांसलर अपनी आंखें मूंदे बैठे है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे-ऐसे कारनामों को विश्विद्यालय अंजाम दे रहा है।

अब देखना होगा कि इस खबर के बाद उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय के अधिकारी, कर्मचारियों पर क्या वाकई कोई कार्यवाही अमल में लाई जाएगी या फिर यह मामला भी जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।