बिग ब्रेकिंग: सैन्य धाम निर्माण में गड़बड़ियों पर न्याय की मांग। हाईकोर्ट में होगी जनहित याचिका दायर

सैन्य धाम निर्माण में गड़बड़ियों पर न्याय की मांग। हाईकोर्ट में होगी जनहित याचिका दायर

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बन रहे सैन्य धाम के निर्माण कार्य में लगातार हो रही अनियमितताओं और घोटालों ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

शहीद सैनिकों की याद में निर्मित हो रही इस परियोजना के कार्यों में देरी और पारदर्शिता की कमी के कारण प्रदेश की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

आरटीआई एक्टिविस्ट एवं अधिवक्ता विकेश सिंह नेगी ने इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर करने की घोषणा की है।

मुख्य मुद्दे

जांच में लीपापोती:-

अधिवक्ता नेगी द्वारा दायर आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी सामने आई कि परियोजना से जुड़े गंभीर आरोपों के बावजूद, आज तक कोई स्वतंत्र जांच नहीं बिठाई गई है।

सीबीआई और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा संस्तुत पत्रों के बावजूद आरोपी परियोजना प्रबंधक रविंदर कुमार को ही सभी सवालों का जवाब देने का अधिकार सौंपा गया। यह स्थिति पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

अनियमितताएं और देरी:-

ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया में केवल दो कंपनियों ने भाग लिया, जिसके कारण पारदर्शिता पर शंका जताई जा रही है। वित्त निदेशक द्वारा बिना शासन की मंजूरी के तकनीकी बिड खोलने को लेकर आपत्ति जताई गई, लेकिन इस पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया।

निर्माण कार्य, जो कि नवम्बर-दिसम्बर 2023 में पूर्ण होना था, अब तक अधूरा है। 49 करोड़ की प्रारंभिक लागत बढ़कर 99 करोड़ हो गई है, जिसका कारण बताने पर सिर्फ भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि का हवाला दिया गया है।

सैनिक कल्याण मंत्रालय की भूमिका:-

प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने भी सैन्य धाम के जल्द निर्माण की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 15 अक्टूबर 2024 तक निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश भी पालन में असफल रहा।

विकेश सिंह नेगी का बयान

“सैन्य धाम प्रदेश की जनता के लिए भावनात्मक महत्व रखता है, लेकिन इसके निर्माण में लगातार हो रही देरी और गड़बड़ियों ने जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।

सीबीआई और पीएमओ से मिले निर्देशों के बावजूद कोई स्वतंत्र जांच नहीं कराई गई और आरोपी परियोजना प्रबंधक को ही जवाब देने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

यह साफ तौर पर लीपापोती की कोशिश है। मैं जल्द ही इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करूंगा, ताकि न्यायिक स्तर पर निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले।”

आगे की कार्रवाई

अधिवक्ता नेगी ने इस मामले में जल्द ही उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की योजना बनाई है। यह याचिका न केवल निर्माण कार्य में हुई गड़बड़ियों पर आधारित होगी, बल्कि सीबीआई और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना और स्वतंत्र जांच के अभाव पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।