फर्जी बिल और फर्जी कारोबार के सहारे सरकार के 06 करोड़ रुपए लगाए किनारे। विभाग ने ऐसे कसा शिकंजा
देहरादून। विशेषज्ञ सेवाओं के नाम पर कारोबार करने वाली फर्मों ने कर चोरी में ही विशेषज्ञता हासिल करने का जुगाड खोज निकाला। आइटीसी के नाम पर सरकार को कैसे चपत लगाई जाए, इसके लिए फर्जी बिल और फर्जी कारोबार का सहारा लिया।
फिर समुचित कर जमा कराने की जगह उल्टे सरकार से ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के रूप में 06 करोड़ रुपए हड़प लिए। हालांकि, राज्य कर विभाग ने शिकंजा कसा तो न सिर्फ मौके पर 2.15 करोड़ रुपए जमा कराने पड़ गए, बल्कि शेष राशि अर्थदंड और ब्याज के साथ वसूल की जाएगी।
राज्य कर विभाग को सूचना मिल रही थी कि विशेषज्ञ सेवा प्रदाता और कंस्ट्रक्शन से जुड़ी फर्में बोगस बिल के माध्यम से आइटीसी का लाभ गलत तरीके से प्रदान कर रही हैं।
फर्मों की हकीकत जानने के लिए 30 अधिकारियों और कर्मचारियों की 10 टीम गठित की गई। राज्य कर विभाग की टीम ने देहरादून, रुड़की, रुद्रपुर और हल्द्वानी की कुल 06 फर्मों पर एक साथ छापा मारा।
जांच में पता चला कि ये फर्में जिन प्रतिष्ठानों से माल की खरीद दिखा रही हैं, वह धरातल पर मौजूद ही नहीं हैं। सीधा मतलब है कि बोगस बिल किए जा रहे थे। इन बालों पर जो कर अदा करना दिखाया गया, उसे फर्मों ने अपनी कर देयता से घटा दिया। इस तरह बिना वास्तविक कारोबार के ही सरकार से 06 करोड़ रुपए का आइटीसी प्राप्त कर लिया गया।
आयुक्त राज्य कर डा अहमद इकबाल ने कहा कि बोगस रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम शुरू किया गया है। साथ ही आल इंडिया ड्राइव के तहत फर्जीवाड़ा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
छापा मारने वाली टीम में उपायुक्त विनय पांडे, निखिलेश श्रीवास्तव, विनय ओझा, अरविंद प्रताप, सुरेश कुमार, सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल, टीका राम, नितिका नारंग, गार्गी बहुगुणा, उर्मिला पींचा आदि शामिल रहे।
चोरी पकड़े जाने पर जमा कराए 2.15 करोड़
आइटीसी के फर्जीवाड़े के पुख्ता दस्तावेज जीएसटी अधिकारियों के हाथ लग जाने के बाद फर्मों ने मौके पर ही 2.15 करोड़ रुपए जमा करा दिए।
साथ ही शेष राशि की वसूली अर्थदंड और ब्याज के साथ वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अलावा फर्मों के कार्यालयों से कुछ इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी कब्जे में ली गई हैं। जिनकी जांच के लिए फोरेंसिक साइंस एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है।
ई-वे बिल में दर्शाए वाहन रूट से गुजरे ही नहीं
आइटीसी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के लिए फर्मों ने माल की फर्जी खरीद को पुष्ट करने के लिए जो ई-वे बिल लगाए थे, उनमें दर्ज वाहनों की स्थिति का भी परीक्षण किया गया। पता चला कि ई-वे बिल में जो रूट दर्ज हैं, संबंधित वाहनों ने वहां के टोल प्लाजा को पार ही नहीं किया गया।