खुलासा : “जल जीवन मिशन” में शर्मा कंस्ट्रक्शन कम्पनी के द्वारा किए कार्यों में आने लगी भ्रष्टाचार की बू। कई योजनाए फैल

“जल जीवन मिशन” में शर्मा कंस्ट्रक्शन कम्पनी के द्वारा किए कार्यों में आने लगी भ्रष्टाचार की बू। कई योजनाए फैल

रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल

कोटद्वार। यूँ पहाड़ों में हर छोटे बड़े विकास कार्यों में गुणवक्ता पर सवाल खड़े होते रहते, आये दिन शासन प्रशासन जांच की बात करके मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर देते है जिसके कारण भ्रष्टाचारियों के होंसले और बुलंद होते रहते है।

मामला जनपद पौड़ी गढ़वाल के ब्लॉक द्वारीखाल व ज़हरीखाल का है, जहाँ पर जल जीवन मिशन के अंतर्गत “हर घर जल-हर घर नल” का कार्य जल निगम कोटद्वार करवा रहा है।

आपको बता दे कि, द्वारीखाल व ज़हरीखाल ब्लॉक में
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश की शर्मा कंस्ट्रक्शन कम्पनी को जल निगम कोटद्वार ने लगभग 11करोड़ के ठेके दिए है, जिसमे कुछ जगह कम्पनी द्वारा कार्य पूर्ण दिखा रखे है जबकि उक्त जगहों पर पेयजल संकट छा रखा है।

ग्रामीणों का कहना है कि, नई योजना से उन्हें सुचारु रूप से पेयजल नहीं मिल रहा है। आज भी ग्रामीण अपने पैतृक जल स्रोतों पर ही निर्भर है। ज़ब निगम के अधिकारी आते है उसी दिन उन्हें पानी मिलता है।

रही पाइप लाइनों की बात तो आप देख सकते है कि कई पाइपों में क्रेकिंग आ रखी है व जो कनेक्शन पर टूंटी लगाई गई है वो भी लोकल है।

अधिकतर कनेक्शनों की टूंटियां पहले ही ख़राब हो चुकी है। जँहा पर घर है उन्हें पानी का कनेक्शन नहीं मिला और बंजर खेतों में पानी के कनेक्शन लगाए हुए है।

सोशल मीडिया की जानकारी के अनुसार शर्मा कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा अधिकतर सामग्री लोकल लगाई गई है, जिसमे जल निगम अधिकारियो की अहम भूमिका नजर आई है।

वही शर्मा कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने अधिकांश निर्माण कार्य पेटी मे दिए है, जिनमे घटिया निर्माण सामग्री लगा कर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है।

ज़ब उक्त मामले में मीडिया द्वारा कोटद्वार जल निगम के अधिकारी मिश्रा से पूछा गया तो उनका क़हना था कि, उनकी तरफ से कुछ नहीं लिखना है।

ज़ब उनसे पूछा गया कि जाँच करवा दीजिए तो उनका कहना था कि सब ठीक है जांच की जरूरत नहीं है, ना ही खबर छापने की।

जिससे साफ लगता है कि जल निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार से अच्छा फायदा लिया है, जिससे वह मामले को दबाने का प्रयास कर रहे है।

वहीं अगर शर्मा कंस्ट्रक्शन कम्पनी के जल निगम में किए गए करोड़ों के कार्यों की जाँच की जाए तो कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।