मतदान की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही पूरे देश में आचार संहिता भी लागू हो गई है. आचार संहिता चुनाव के नतीजे आने तक लागू रहेगी. इस दौरान राजनीतिक दलों पर कई तरह की पाबंदियां रहेंगी. इस दौरान संबंधित सरकार भी किसी नई योजना का ऐलान नहीं कर सकती है।
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चुनाव आयोग 18वीं लोकसभा के लिए चुनावों का ऐलान कर दिया है। चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही पूरे देश में एक साथ ही आदर्श आचार संहिता (Model Code Of Conduct) लागू हो गयी है।
निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं जिनका सभी राजनीतिक पार्टियो को पालन करना होता है।
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इसके अलावा आचार संहिता में कई प्रतिबंध शामिल हैं जिनका उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकती है। यहां तक कि उम्मीदवार को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।
एमसीसी यानी आचार संहिता
चुनाव के दौरान राजनीति के गिरते स्तर पर सुझाव जारी किए गए हैं. पिछले पांच साल में एमसीसी को इकट्ठा कर एक अंतिम सुझाव जारी किए हैं. पार्टियों को नोटिस दिया कि हर स्टार चुनाव प्रचारक को एमसीसी की गाइडलाइंस देनी होंगी. हम उनका इतिहास देखेंगे।
नफरती भाषण, धार्मिक नफरत का भाषण, निजी टिप्पणियां, गलत जानकारियों वाला प्रचार अखबार में जो छपता है कि इसकी लहर या उसकी लहर.. इस पर विज्ञापन लिखना होगा. बच्चों को इस्तेमाल नहीं करना होगा. विकलांग लोगों के प्रति अपशब्द न बोलें।
उम्मीदवार लालच दे तो कहां कर सकते हैं शिकायत, जानिए चुनाव आयोग ने क्या बताया
चुनाव की तारीखों के ऐलान के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि जनता चुनाव को लेकर अपनी शिकायत कर सकती है। उन्होंने आगे बताया कि जनता को बस Cvigil ऐप में जाकर फोटो खींचकर अपलोड करना है। उसके बाद हम 100 मिनट के अंदर आपकी समस्या का समाधान कर देंगे।
कब से कब तक लागू रहती है आचार संहिता
आचार संहिता चुनाव की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। अगर विधानसभा के चुनाव होते हैं तो यह राज्यभर में लागू होती है। वहीं लोकसभा के चुनाव के दौरान पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।
यह आचार संहिता चुनाव के परिणाम आने तक लागू रहती है। इस दौरान बहुत सारी शक्तियां चुनाव आयोग के हाथ में चली जाती है।
जानिए आचार संहिता के नियम
चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी पैसे का इस्तेमाल किसी राजनीतिक दल या फिर व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता।
इसके अलावा चुनाव प्रचार में सरकारी गाड़ी, बंगले, विमान या फिर सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी घोषणा, शिलान्यास या लोकार्पण नहीं किया जाता है।
इसके अलावा कोई रैली या फिर जनसभा करने के लिए पुलिस से अनुमति लेनी जरूरी होती है। चुनावी रैलियों में पैसे, धर्म, जाति के नाम पर वोट मांगना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है।
चुनाव से किसी भी तरह से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर नहीं कियाजाता है। अगर जरूरी हो तो इसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है।
आचार संहिता के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे पर विज्ञापर पर रोक लगा दी जाती है। इसके अलावा रात के 10 बजे से सुबह के 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित रहता है।
इसके अलावा राजनेताओं को सुनिश्चित करना होता है कि वे किसी भी जाति या समुदाय के बीच घृणा बढ़ाने वाली गतिविधि या बयानबाजी में शामिल ना हों। मंदिर, मस्जिद या फिर अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए।