उत्तराखंड के उत्तरकाशी से इस वक़्त देश और देवभूमि वासियों के लिये बेहद सूकून और खुश कर देने वाली सबसे बड़ी ख़बर सामने आ रही है। रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता के बाद मजदूरों के परिजनों, रेस्क्यू टीम और प्रशासन ने राहत की सांस ली है। फिलहाल एक-एक कर के मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा है। समाचार लिखे जाने तक 5 मजदूर निकाले गए हैं।
बुलंद हौसले के साथ खतरनाक और चुनौती पूर्ण ऑपरेशन की तमाम बाधाओं को पार करते हुए बचाव दल ने सुरंग में 17 दिनों से फंसी जिंदगियों को बचा लिया है। बीते कई दिनों से सिलक्यारा में लगातार युद्धस्तर पर चल रहे ऑपरेशन टनल में राहत और बचाव दल ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए सुरंग के अंदर बेहद खतरनाक मिशन को अंजाम दिया है और ऑपरेशन ज़िंदगी में कामयाबी हासिल करते हुए सुरंग में फंसे मज़दूरों को बाहर निकाला जा रहा है।
आपको बताते चलें सुरंग हादसा मामले में उत्तराखंड ही नहीं देश के साथ-साथ दुनिया भर की नजरे इस ऑपरेशन में जमी हुई थी। मजदूरों के सकुशल बाहर निकलने को लेकर दुआओं का दौर देश भर में चलता रहा।
ऑपरेशन के दौरान टनल में फंसे मजदूरों के परिजन अपने परिवार के लोगों के सकुशल बाहर आने की प्रार्थना कर रहे थे आज उनके चेहरों पर खुशी के पल देखने को मिले।
आखिरकार वह घड़ी आ ही गई, जिसका पूरे देश को इंतजार था। उत्तरकाशी के सिलिक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने में कामयाबी हासिल हो गई है।
रात दिन की जद्दोजहद के बाद एनडीआरफ, सेना, एसडीआरएफ समेत अन्य टीमों ने जब श्रमिकों को सकुशल बाहर निकलना शुरू किया तो उनके परिजनों की आंखें खुशी से नम हो गई। बताया गया कि बचाव टीम को 57 मीटर पर मिला ब्रेकथ्रू।
लेकिन चिकित्सकों की सलाह के अनुसार श्रमिकों को कुछ समय तक सुरंग के अंदर ही रखा और वहीं पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण होगा क्योंकि श्रमिक सुरंग में जिस जगह फंसे थे वहां का तापमान लगभग 30 से 35 डिग्री के आसपास है, जबकि सुरंग के बाहर सिलक्यारा का वर्तमान तापमान आज 10 डिग्री के आसपास है।
उत्तराखंड के सचिव नीरज खैरवाल ने कहा कि हमारी टीम ने बाधा के बावजूद हार नहीं मानी और पूरे मलबे को हटाने में कामयाब रही, और मशीन की असेंबली लाइन को फिर से स्थापित किया गया।
सुरंग में एनडीआरएफ़ की टीम ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ मौजूद है और बाहर दर्जनों एंबुलेंस खड़ी हैं। चिन्यासौर में एक कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में मज़दूरों के लिए एक अस्थाई अस्पताल तैयार किया गया है।
उत्तराकाशी की सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को निकालने का अभियान कामयाब हो गया गया है। 12 नवंबर को सुबह 4 बजे सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गए थे।
अपनी शिफ्ट खत्म कर बाहर आ रहे मजदूरों के सामने टनल ढह गया। मलबे के कारण वे भीतर फंस गए। मामले की जानकारी के बाद मजदूरों को निकालने का अभियान शुरू हुआ था।
ये हादसा आज से लगभग 17 दिन पहले दिवाली के दिन हुआ था। उस वक़्त ये मजदूर इसी सुरंग में काम कर रहे थे। लेकिन सुरंग धंसने के साथ ही मजदूर 70 मीटर लंबी मलबे की दीवार के पीछे धंस गए।
इसके बाद धीरे-धीरे मलबे को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई. इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद ली गयी है।
उत्तरकाशी में दीपावली के दिन यानी 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे सिलक्यारा से डंडालगांव तक बनाई जा रही अत्याधुनिक सुरंग का हिस्सा धंस गया है और आठ राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में ही फंस गए थे। यह हादसा मजदूरों की शिफ्ट बदलने के दौरान हुआ था।
हालांकि सुरंग में भूस्खलन की घटना का पता चलते ही केंद्र व उत्तराखंड सरकार युद्धस्तर पर बचाव कार्य में लगी रही। कई देशों से अत्याधुनिक मशीनें और विशेषज्ञों को बुलाया गया।
सुरंग में 17 दिन तक चले खोज बचाव अभियान में कई बाधाएं समाने आयी। इन बाधाओं से निपटने में खोज बचाव टीम युद्ध स्तर जुटी रही। हौसले के साथ डटकर खोज बचाव टीम ने इन बाधाओं से पार पाया। जिसमें जिंदगी की जीत हुई।
हादसे के 17वें दिन यानी करीब 418 घंटे बाद बचाव टीम के हाथ पहली सफलता लगी है। 17वें दिन यानी 28 नवंबर को करीब दोपहर करीब दो बजे पहले मजदूर का रेस्क्यू किया गया।