अतिक्रमण के नाम पर उत्पीड़न की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं
देहरादून। दुकानें तोड़े जाने के अभियान को अध्यादेश लाकर रोकने से संबंध में सीएम को प्रेषित किया ज्ञापन। सदियों से पर्वतीय क्षेत्रों में बसे दुकानदारों की दुकानें तोड़ी जा रही हैं। इसको लेकर पूरा पर्वतीय समाज आक्रोशित है।
पर्वतजन फाऊंडेशन ने तत्काल इस उत्पीड़न पर रोक लगाने की मांग को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक ज्ञापन प्रेषित किया।
पर्वतजन फाउंडेशन के संयोजक शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि, अतिक्रमण हटाने के नाम पर पर्वतीय समाज को बर्बाद करने की इस कार्रवाई का पर्वतजन फाउंडेशन कड़ी निंदा करता है।
अतिक्रमण के नाम पर यदि पर्वतीय लोगों पर जुल्म करना बंद नहीं किया गया तो इसके खिलाफ उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।
राजेंद्र पंत ने कहा कि,एक ओर देहरादून में नदी नाले कब्जाने वाले बाहरी लोगों को बचाने के लिए वोट बैंक के लालच में अध्यादेश लाया जाता है, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में किसी तरीके से रोजगार चला रहे दुकानदारों को उजाड़ा जा रहा है।
राजेंद्र गुसाईं ने कहा कि, पर्वतीय क्षेत्र पहले से ही रोजगार के अभाव में पलायन करने को मजबूर हैं। पहाड़ खाली हो रहे हैं और ऊपर से छोटे-मोटे दुकानदारों की दुकानों को तोड़कर उनके परिवारों को बर्बाद किया जा रहा है।
पर्वत जन फाऊंडेशन ने सरकार से मांग की है कि, जिन दुकानदारों को उजाड़ा गया है उनको तत्काल वैकल्पिक स्थान पर वैकल्पिक रोजगार खोल कर दिया जाए।
शिवप्रसाद सेमवाल ने आरोप लगाया कि, पूरे उत्तराखंड में उत्तरकाशी से लेकर चमोली तक पिथौरागढ़ से लेकर उधम सिंह नगर तक और ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर भी इस अभियान के माध्यम से दुकानदारों को उजाड़ा जा रहा है जबकि इस कार्यवाही के पीछे कुछ और मकसद लग रहा है।
खास करके नेशनल हाईवे के विषय में तो हाई कोर्ट का भी कोई आदेश नहीं है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि नेशनल हाईवे के किनारे चल रही दुकानों को उजाड़ने के पीछे कोई खास मकसद है। ताकि इन खाली हुई जगह को किसी बड़े पूंजीपति को लीज पर दिया जा सके।
जिस तरह से देहरादून के अतिक्रमण को बचाने के लिए अध्यादेश लाया गया है, इस कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाई जाए। अन्यथा पूरे प्रदेश के लोग जन आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।